Factories Act Relating To Small Scale Industries In Hindi – हेल्लो Engineers कैसे हो , उम्मीद है आप ठीक होगे और पढाई तो चंगा होगा आज जो शेयर करने वाले वो Entrepreneurship के Factories Act Relating To Small Scale Industries In Hindi के बारे में हैं तो यदि आप जानना चाहते हैं की ये क्या हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ सकते हैं , और अगर समझ आ जाये तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं |
Factories Act Relating To Small Scale Industries In Hindi
Factories Act Relating To Small Scale Industries In Hindi
Small Scale Industries ( लघु उद्योगों ) से सम्बन्धी कारखाना नियम निम्नलिखित अधिनियमों के अधीन है :-
- कारखाना अधिनियम , 1948
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम , 1948
- मजदूरी भुगतान अधिनियम , 1936
- उपदान भुगतान अधिनियम , 1972
- कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम , 1948
- बोनस भुगतान अधिनियम , 1965
इन सभी अधिनियमों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है –
कारखाना अधिनियम , 1948 –
इस अधिनियम के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित –
- यह कारखानों में कार्यरत श्रमिकों की उचित सुरक्षा सुनिश्चित करता है । तथा उनके स्वास्थ्य तथा कल्याण को बढ़ावा देता है ।
- यह कारखानों के अव्यवस्थित विकास को फैक्ट्री निर्माण से पूर्व योजना की नियमित मंजूरी जैसे प्रावधानों के जरिये रोकता है ।
- यह कारखानों में कार्यदशाओं को नियमित करता है ।
- यह श्रमिकों की सुरक्षा , स्वास्थ्य तथा कल्याण के लिये उनकी न्यूनतम आधारभूत आवश्यकताओं को सुनिश्चित करता है ।
प्रभावशीलता –
- यह सभी श्रमिकों पर प्रभावी है ।
- यह उन सभी कारखानों पर प्रभावी है जो शक्ति ( विद्युत ) का प्रयोग करते है तथा जिनमें 10 से अधिक व्यक्ति काम करते हैं , या यदि शक्ति का प्रयोग नहीं करते पर 20 से अधिक श्रमिक कार्य करते हैं ।
मुख्य प्रावधान –
अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं –
- कारखानों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन , लायसेंस तथा मंजरी .
- स्वास्थ्य उपचार ,
- सुरक्षा उपाय ,
- कल्याण उपाय ,
- कार्य घण्टे ,
- स्त्रियों तथा बालकों की नियुक्ति ,
- वार्षिक अवकाश प्रावधान ,
- दुर्घटना एवं व्यावसायिक रोग ,
- जुर्माने , अर्थदण्ड ,
- कर्मचारियों के अधिकार एवं अनुग्रह ।
प्रासंगिकता –
- कारखाना शुरु होने के समय ,
- कारखाने के जीवन पर्यन्त ।
न्यूनतम मजूदरी अधिनियम , 1948 –
इसका उद्देश्य उन कारखानों में मजदूरी की न्यूनतम दर निर्धारित करना है जहाँ या तो श्रम संघ है ही नहीं अथवा हैं पर प्रभावी नहीं हैं ।
प्रभावशीलता –
यह कुशल , अर्धकुशल , तकनीकी , लिपिकीय सभी प्रकार के कर्मचारियों , अमिकों पर प्रभावी है ।
मुख्य प्रावधान –
इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं –
- कर्मचारियों की मजदूरी की न्यूनतम दर सुनिश्चित करना ,
- मजदूरी का परिशोधन तथा न्यूनतम मजूदरी की दर निर्धारित करने का प्रावधान ।
- कर्मचारियों का अनुग्रह ।
प्रासंगिकता –
नये व पूर्व से ही कार्यरत कर्मचारियों का वेतन तय करते समय ।
मजदूरी भुगतान अधिनियम , 1936 –
इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य श्रमिकों की मजदूरी का नियमित एवं शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करना तथा मनमाने जुर्मानों और कटौतियों पर प्रतिबन्ध लगाना है ।
प्रभावशीलता –
- यह किसी कारखाने में कार्यरत मजदूरी पाने वाले सभी कर्मचारियों पर लागू है ।
- बाल श्रम के प्रतिगहन का कोई भी समझौता अवैध है ।
उपदान भुगतान अधिनियम , 1972 –
इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य है कार्यालय से अलग होते समय श्रमिक को उपदान की राशि उपलब्ध कराना ।
प्रभावशीलता –
- कारखाने , खदानें , तेलक्षेत्र , बागान , बंदरगाह , रेलवे कम्पनियाँ , दुकानें तथा वे सभी व्यावसायिक स्थापनाएँ जहाँ सरकार कानून का विस्तार करती है ।
- रु . 3500 तक वेतन पाने वाले कर्मचारी ,
- प्रत्येक पूर्णवर्ष की सेवा के लिये 15 दिन की मजदूरी या 6 माह से अधिक सेवा के लिये उपदान का एक अंश किन्तु अधिकतम रु . 50000 तक ।
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम , 1948 –
यह अधिनियम कर्मचारियों की स्वास्थ्य रक्षा , चिकित्सा सुविधा व नकद लाभ निम्नलिखित के लिये उपलब्ध कराने का प्रावधान करता है :-
- बीमारी ,
- प्रसूति .
- रोजगार चोटें ,
- कर्मचारी की मृत्यु अथवा शरीरिक अक्षमता की दशा में आश्रितों को पेन्शन ।
पात्रता –
रु . 3000 तक मजदूरी प्राप्त करने वाले कर्मचारी ।
लाभ –
- मत्यु की दशा में क्षतिपूर्ति – न्यूनतम रु . 0000 अधिकतम रु . 1 , 14 , 000
- स्थाई अक्षमता की दशा में क्षतिपूर्ति – न्यूनतम रु . 24 , 000 अधिकतम रु . 70000
- अस्थाई असक्षमता हेतु क्षतिपूर्ति – अधिकतम 5 वर्ष तक वेतन का
बोनस भुगतान अधिनियम , 1965 –
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य है –
किसी स्थापना में कार्यरत कर्मचारियों को उत्पादकता या लाम के आधार पर बोनस के भुगतान हेतु वैधानिक अनुग्रह उपलब्ध कराना ।
प्रभावशीलता-
- सम्पूर्ण भारत में कारखाना अधिनियम के अधीन किसी स्थापना में दिन 20 या इससे अधिक व्यक्ति कार्यरत रहे है ।
- 10 से 20 व्यक्तियों वाली संस्थाओं में सरकार इस नियम का विस्तार कर man सकती है ।
- वे सभी कर्मचारी , पर्यवेक्षक , प्रबंधक , प्रशासक / तकनीकी / लिपिकीय स्टाफ जो वेतन अथवा मजदूरी प्राप्त करते है तथा जिनका वेतन रु . 2500 तक हो ।
मुख्य प्रावधान –
इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं –
- बोनस प्राप्त करने हेतु पात्रता होना .
- अधिकतम तथा न्यूनतम बोनस का भुगतान ,
- बोनस भुगतान हेतु समय सीमा ,
- बोनस में से कटौती ,
- सकल लाभ की गणना तथा उपलब्ध बँटवारे योग्य आधिक्य ।
Final Word
दोस्तों इस पोस्ट को पूरा पढने के बाद आप तो ये समझ गये होंगे की Factories Act Relating To Small Scale Industries In Hindi और आपको जरुर पसंद आई होगी , मैं हमेशा यही कोशिश करता हूँ की आपको सरल भाषा में समझा सकू , शायद आप इसे समझ गये होंगे इस पोस्ट में मैंने सभी Topics को Cover किया हूँ ताकि आपको किसी और पोस्ट को पढने की जरूरत ना हो , यदि इस पोस्ट से आपकी हेल्प हुई होगी तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं |