Planning Of Small Scale Industry In Hindi – हेल्लो Engineers कैसे हो , उम्मीद है आप ठीक होगे और पढाई तो चंगा होगा आज जो शेयर करने वाले वो Entrepreneurship के Planning Of Small Scale Industry In Hindi के बारे में हैं तो यदि आप जानना चाहते हैं की ये क्या हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ सकते हैं , और अगर समझ आ जाये तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं |
Planning Of Small Scale Industry In Hindi
Planning Of Small Scale Industry In Hindi
किसी लघु उद्योग के नियोजन में निम्नलिखित चरण सम्मिलित होते हैं –
(i) Selection of industrial / commercial activity (औद्योगिक / व्यावसायिक गतिविधि का चयन ):-
- Entrepreneur के लिये सर्वप्रथम समस्या होती है – अपने लिये उपयुक्त unit का चयन करने की । यदि व्यक्ति द्वारा किसी unit के बारे में पूर्व में सोचा भी गया हो तब भी उसका यह अर्थ कदापि नहीं होता कि वह उसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी रखता है ।
- अतः उसके द्वारा पूर्व में सोची गई unit के बारे में अतिरिक्त information प्राप्त करने हेतु अथवा किसी नई इकाई के बारे में जानकारी तथा अन्य विवरण प्राप्त करने हेतु संबंधित जिले के जिला उद्योग केन्द्र अथवा लघु उद्योग सेवा संस्थान के नजदीकी कार्यालय अथवा कंसल्टेन्सी organization से प्राप्त की जा सकती है ।
- अतः नियोजन का प्रथम चरण है कि उद्यमी व्यवसाय सुनिश्चित करे ।
(ii) To conduct a survey to find market prospects (बाजार संभावनाएँ ज्ञात करने हेतु सर्वेक्षण करना ):-
- सभी entrepreneurs के लिये यह आवश्यक होता है कि वे उनके द्वारा चयनित उत्पाद / व्यवसाय का बाजार जानने के लिये गहन बाजार सर्वेक्षण करें ।
- इसके लिये अपने प्रतिस्पधियो तथा वितरकों एवं उपभोक्ताओं आदि से जानकारी प्राप्त करनी होती है ।
(iii) Unit brief plan (इकाई की संक्षिप्त योजना ):-
- Market सर्वेक्षण द्वारा एकत्र की गई जानकारियों का विश्लेषण करने के बाद तथा unit का अतिम रुप से चयन करने के बाद उधमी द्वारा इसके विभिन्न एवं तकनीकी पहलुओ को एक प्रपत्र में सकलित किया जाता है जिसमें इकाई के लिये लगने वाले प्लाण्ट एवं मशीनरी कच्चो माल तथा इकाई की लाभप्रदता आदि की जानकारी देनी होती है ।
- Entrepreneur यह संक्षिप्त योजना स्वयं भी बना सकते है अथवा पूर्वतया उपलका प्रोजेक्ट प्रोफाइल्स का भी उपयोग कर सकते है ।
(iv) Deciding on the appropriate site for the unit (इकाई के लिये उपयुक्त स्थापना स्थल का निर्णय लेना ):-
- Unit का चयन करें लेने के उपरान्त उद्यमी उसकी स्थापना के लिये उपयुक्त स्थापना चल तथा लोकेशन क्या होगी यह सुनिश्चित करता है ।
- इसके लिये वह विभिन्न उपलबा स्थापना स्थलों के गुण दोषों , उपलब्धता , अपनी पसंद तथा अन्य पहलुओं पर सोच विचार करने के उपरान्त किसी स्थल विशेष पर निर्णय लेता है ।
(v) Unit’s proposed registration (इकाई का प्रस्तावित पंजीयन):-
- यद्यपि इकाई का प्रस्तावित पंजीयन अनिवार्य नहीं है परंतु यह उद्यमियों के हित में होता है कि वे अपनी इकाई का पंजीयन संबंधित जिला उद्योग केन्द्र के कार्यालय में करवा लें ।
- पंजीयन करवाने के उपरांत उद्यमी को उद्योग स्थापना से संबंधित आगे के चरणों में काफी आसानी हो जाती है ।
(vi) Getting work place or allotment of land for the unit (इकाई के लिये कार्य स्थल प्राप्त करना अथवा भूमि आवंटित करवाना):-
- यद्यपि प्रस्तावित पंजीयन करवाने के लिये यह आवश्यक नहीं होता किसरामी यह दर्शाये कि उसकी इकाई किस प्लॉट क्र . में स्थापित होगी . परंतु इसके उपरान्त के चरणों में उसे विशेष रूप से यह बताना होगा कि उसकी इकाई किस प्लॉट पर स्थापित होगी ।
- अतः उसके लिये उसे या तो कोई भवन / दुकान किराये पर लेनी होगी अथवा उद्योग विभाग / औद्योगिक केन्द्र विकास निगम से भूमि प्राप्त करनी होगी अथवा किसी अन्य माध्यम से इकाई की स्थापना हेतु भूमि की व्यवस्था करनी होगी ।
(vii) Preparation of maps and estimates related to the building / work shed (भवन / कार्यशेड से संबंधित नक्शा व ऐस्टीमेट्स तैयार करवाना):-
- भूमि की व्यवस्था हो जाने के बाद उद्यमीद्वारा उस पर बनाये जाने वाले भवन / कार्यशेड का नक्शा तथा ऐस्टिमेट यह जानने हेतु बनाया जाता है कि भवन / कार्यशेड के निर्माण में क्या तागत आयेगी ।
- इसके लिये उद्यमी किसी चार्टर्ड इंजीनियर की सेवाएं ले सकता है तथा ऐसा ऐस्टिमेट तथा नक्शा स्वयं भी बना सकता है ।
(viii) Obtaining consent for supply of electricity from Electricity Department (विद्युत विभाग से विद्युत प्रदाय हेतु सहमति प्राप्त करना ):-
- प्राय सभी इकाइयों के संचालन के लिये वियत की आवश्यकता होती है , अतः उद्यमी के लिये यह आवश्यक हो जाता है कि वह स्थानीय रुप से कार्यरत विद्युत मण्डल के कार्यालय से सम्पर्क करके यह अनुमान लगाने का प्रयास करे कि उसके प्रस्तावित कार्यास्थल पर वाछित मात्रा में विद्युत प्राप्त करने पर कितना खर्च आयेगा ताकि वे उसके अनुरुप चित्त को व्यवस्था कर सके ।
(ix) Water system (पानी की व्यवस्था ):-
- जिन इकाइयों में उत्पादन कार्य के लिये पानी की आवश्यकता होती है उनके संदर्भ में या तो उद्यमी को स्वयं पानी की व्यवस्था ( बोरिंग आदि के माध्यम से ) अथवा पी . एच . ई . आदि के माध्यम से करनी होती है ।
(x) Receiving quotations related to machinery and equipment (मशीनरी तथा उपकरणों से संबंधित कोटेशन्स प्राप्त करना ):-
- प्राय अधिकाशत entrepreneurs को उनकी इकाई की स्थापना हेतु किसी न किसी संस्था से वित्तीय सहायता प्राप्त करनी होती है इसके अतिरिक्त कई अन्य संस्थाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भी प्रोजेक्ट रिपोर्ट का निर्माण किया जाना आवश्यक होता है ।
- इसके लिये आवश्यक है कि उद्यमी उसकी इकाई में लगने वाले विभिन्न मशीनों तथा उपकरणों से संबंधित अधिक से अधिक मशीनरी प्रदायकर्ताओं से कोटेशन्स प्राप्त करे इसके साथ – साथ उसे विभिन्न कच्चामाल प्रदायकर्ताओं से भी कोटेशन्स प्राप्त करने होते हैं ।
(xi)Preparation of Detailed Project Report of the unit (इकाई का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार करना ):-
- क्योंकि अधिकांशतः | संदर्भो में entrepreneur द्वारा किसी न किसी वित्तीय संस्था से आण एवं किन्हीं अन्य विभागों से अनापास प्रमाण पत्र प्राप्त करने होते है अतः इस स्तर पर उसे अपनी इकाई की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करनी होती है ।
- क्योंकि अभी तक उसके पास प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने हेतु सभी आवश्यक जानकारियों आ चुकी होती है अतः उसके लिये इन जानकारियों को आधार बनाकर । प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाना आसान हो जाता है ।
(xii) Obtaining no objection certificate and license from various regulatory bodies (विभिन्न नियमनकारी संस्थाओं से अनापत्ति प्रमाणपत्र एवं लायसेंस प्राप्त करना):-
- ऐसी कई सस्थाएँ हैं जहाँ से उद्यमी को उत्पादन में आने से पूर्व अनापत्ति / लायसस प्राप्त करना होता है । उदाहरणार्थ – सामान्य इकाइयों के संदर्भ में प्रदूषण मण्डल से . दवाई निमाणक सम्बध में खाद्य एवं औषधि – प्रशासन से पेटोलियम अथवा विस्फोटक पदार्थों क सदन में मुख्य नियंत्रक एक्स्प्लोसिस के कार्यालय से खनिजों पर आधारित उद्योगों के संदर्भ में राज्य के खनिज विभाग आदि से अनापत्ति प्रमाणपत्र / लायसेंस प्राप्त करना होता है |
(xiii)Submission of application for obtaining loan (ऋण प्राप्त करने हेतु आवेदन प्रस्तुत करना ):-
- इस स्तर पर पहुँचते – पहुँचते entrepreneur के पास व समस्त प्रपत्र तथा सहमतियाँ / अनापत्तियों प्राप्त हो जाती है जो बैंकों / वित्तीय सस्थाओं द्वारा वित्तीय सहायता प्रदाय करने हेतु वाँछित होती हैं ।
- अतः समस्त प्रपत्र एकत्रित कर उद्यमी अपना आवेदन पत्र संबंधित बैक / वित्तीय संस्था अथवा किसी भी अन्य वित्तीय स्रोत कार्यालय में प्रस्तुत करता है ।
(xiv)Obtaining loan approval (ऋण स्वीकृति प्राप्त करना ):-
- इस स्तर पर उद्यमीद्वारा ऋण स्वीकृति प्राप्त की जाती है ।
(xv)Arrangement / acceptance for margin money (मार्जिन मनी हेतु व्यवस्था / स्वीकृति ):-
- बैंक / वित्तीय संस्था से ऋण स्वीकृति के बाद उनके द्वारा उद्यमी से एक निश्चित मात्रा में margin money की अपेक्षा की जाती है । इस मार्जिन मनी की व्यवस्था entrepreneur या तो अपने स्वयं के स्रोतों से कर लेता है या उसे किसी अन्य योजनान्तर्गत मार्जिन मनी अथवा सुलभ ऋण अथवा बीज पूँजी की पात्रता हो तो वहाँ से उसकी स्वीकृति प्राप्त करने हेतु प्रयास करता है ।
- Margin money स्वीकृत हो जाने के उपरान्त यह margin money उद्यमी द्वारा संबंधित वित्तीय संस्था में ( यदि लागू हो तो ) जमा करवा दी जाती ।
(xvi) Start construction (निर्माण कार्य प्रारम्भ करना ):-
- बैंक / वित्तीय संस्था से ऋण स्वीकृति प्राप्त हो जाने के उपरान्त entrepreneur द्वारा building / shed के निर्माण का कार्य कराया जाता है ।
(xvii)Place order for machine (मशीनही हेतु ऑर्डर प्लेस करना ):-
- जब entrepreneur को यह लगने लगे कि भवन / कार्य शेड का निर्माण पूर्ण होने वाला है तब उसे मशीनरी व उपकरण हेतु ऑर्डर प्लेस करना चाहिये ।
(xviii) Obtaining an electrical connection (विद्युत कनेक्शन प्राप्त करना ):-
- मशीनरी हेतु order place करने के साथ ही उद्यमी द्वारा electrical connection प्राप्त करने के लिये भी औपचारिकताएँ पूर्ण कर कनेक्शन प्राप्त किया जाता है ।
(xix)Installation of machines, selection of manpower and arrangement of raw materials (मशीनों की स्थापना , जनशक्त्ति का चुनाव एवं कच्चे माल की व्यवस्था ):-
- इसी दौरान मशीनें कार्यस्थल पर आ जाने पर entrepreneur द्वारा उनकी स्थापना की जाती है तथा इकाई हेतु लगने वाले कच्चे माल की व्यवस्था की जाती है ।
- इकाई के संचालन हेतु आवश्यक कर्मचारियों एवं श्रमिकों की व्यवस्था भी इसी स्तर पर की जाना अपेक्षित होता है ।
(xx) Unit trial run (इकाई का ट्रायल रन लेना):-
- मशीनरी स्थापित हो जाने के उपरान्त यह सुनिश्चित करने के लिये कि संबंधित मशीनों द्वारा सही गुणवता का कार्य निष्पादन किया जा रहा है , entrepreneur द्वारा ट्रायल रन लिया जाता है ।
(xxi) Commercial production (वाणिज्यिक स्तर पर उत्पादन प्रारम्भ करना):-
- Trial रन के दौरान उत्पादन | के सही पाये जाने पर entrepreneur द्वारा वाणिज्यिक स्तर का उत्पादन प्रारम्भ किया जाता है , ऐसा । | उत्पाद जो बाजार में वाणिज्यिक रुप से बेचा जाता है ।
(xxii) Permanent registration of the unit (इकाई का स्थायी पंजीयन ):-
- इकाई द्वारा वाणिज्यिक स्तर पर उत्पादन प्रारम्या कर देने के उपरान्त उसका संबंधित जिला उद्योग केन्द्र के कार्यालय में स्थायी पंजीयन करवाया जाता है ।
(xxiii)Getting the various facilities available to the unit (इकाई को मिलने वाली विभिन्न सुविधाएँ प्राप्त करना ):-
- स्थायी पंजीयन करवाने के उपराँत उद्यमी द्वारा उसकी इकाई को मिल सकने वाली विभिन्न सुविधाओं / रियायतों जैसे पूँजी अनुदान , विक्रय कर में छट , आदि हेत संबंधित विभागों में आवेदन किया जाता है तथा ।
- ये समस्त सुविधाएँ , रियायतें प्राप्त करने के प्रयास किये जाते है ।
Final Word
दोस्तों इस पोस्ट को पूरा पढने के बाद आप तो ये समझ गये होंगे की Planning Of Small Scale Industry In Hindi और आपको जरुर पसंद आई होगी , मैं हमेशा यही कोशिश करता हूँ की आपको सरल भाषा में समझा सकू , शायद आप इसे समझ गये होंगे इस पोस्ट में मैंने सभी Topics को Cover किया हूँ ताकि आपको किसी और पोस्ट को पढने की जरूरत ना हो , यदि इस पोस्ट से आपकी हेल्प हुई होगी तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं |