Industrial Center In Hindi-जाने क्या हैं Industrial Center हिन्दी में

Industrial Center In Hindi
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Industrial Center In Hindi–  हेल्लो Engineers कैसे हो , उम्मीद है आप ठीक होगे और पढाई तो चंगा होगा आज जो शेयर करने वाले वो Entrepreneurship  के Industrial Center In Hindi के बारे में हैं, तो यदि आप जानना चाहते हैं की Industrial Center In Hindi  क्या हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ सकते हैं , और अगर समझ आ जाये तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं |

Industrial Center In Hindi

Industrial Center In Hindi
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Industrial center In Hindi

Industrial Center (औद्योगिक केन्द्र):-

  • लघु एवं ग्रामीण उद्योग  (Small and rural industries)  विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत जिला उद्योग (District industry)  केन्द्रों की स्थापना का आरम्भ 1 मई 1978 से किया गया । इस कार्यक्रम के प्रमुख लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये जनवरी 1979 तक भारत में कुल 180 जिला उद्योग केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी थी ।
  • शासन द्वारा इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों में कमी नहीं बरती गई । और वर्ष 1987 – 88 तक जिला उद्योग केन्द्रों की स्वीकृत संख्या 422 हो गई थी जो राष्ट्र के 431 जिलों का कार्यभार संभालते थे । किन्तु इन पर अत्यधिक कार्यभार होने के कारण वर्ष 1989 – 90 में । तीन अतिरिक्त जिला उद्योग केन्द्रों की स्थापना की गई । इस प्रकार वर्ष 1990 तक भारत में कुल 425 जिला उद्योग केन्द्र स्थापित किये जा चुके हैं ।
  • मुम्बई , कोलकाता , दिल्ली तथा चेन्नई ये चार महानगर जिला उद्योग केन्द्र की परिधि में नहीं आते हैं । यद्यपि लक्षद्वीप में एक जिला Industries केन्द्र की स्थापना की गई है ।

Functions of District Industries Center (जिला उद्योग केन्द्र के कार्य) –

जिला उद्योग केन्द्र जिला स्तर पर उद्यमियों को औद्योगिक इकाइयों की स्थापना एवं प्रोत्साहन हेतु अनेक कार्य करते है । जिन प्रमुख गतिविधियों का संचालन जिला व्यापार एवं Industries केन्द्र द्वारा किया जाता है उनका विवरण निम्नलिखित है –

( i ) Loans and grants (ऋण एवं अनुदान) –

इन केन्द्रों द्वारा उद्योगों को विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये प्रत्येक जिला उद्योग केन्द्र पर प्रबंधक कुटीर उद्योग कार्यरत है , जो खादी एवं ग्रामोद्योग मण्डल , नारियल जटा मण्डल , रेशम मण्डल आदि संगठनों से सम्पर्क स्थापित कर औद्योगिक विकास में सहायता करता है । उद्यमियों एवं कामगरों को शासन एवं विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से ऋण एवं अनुदान उपलब्ध कराने के साथ सहकारी विपणन समितियों के माध्यम से माल के विक्रय हेतु व्यवस्था भी जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से की जाती है ।

( ii ) Balanced industrial development (संतुलित औद्योगिक विकास) –

गाँवों में उपलब्ध स्थानीय संसाधनों , कच्चे माल , श्रम एवं वित्तीय साधनों की जानकारी प्राप्त कर संतुलित औद्योगिक विकास में सहयोग प्रदान करना ।

( iii ) Providing facilities (सुविधाएँ उपलब्ध कराना) –

लधु एवं कुटीर उद्योगों को शासन द्वारा प्रदत्त आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु इकाइयों का स्थायी पंजीयन करना ।

( iv ) Preparation of list of potential industries (सम्भावित उद्योगों की सूची तैयार करना) –

सम्बंधित जिले में उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से उद्योगों की स्थापना की सम्भावना का ज्ञान प्राप्त कर सम्भावित उद्योगों की सूची तैयार करना ।

( v ) Expanding core facilities (मूल सुविधाओं का विस्तार करना) –

राज्य एवं केन्द्र की सम्बंधित संस्थाओं से ‘ सम्पर्क करके गाँवों में सड़क , विद्युत एवं जल सुविधाओं के विस्तार का कार्य भी जिला उद्योग केन्द्र द्वारा किया जाता है ।

( vi ) Create employment opportunities for all classes (सभी वर्गों के लिये रोजगार अवसर निर्मित करना) –

अतिरिक्त रोजगार अवसर निर्मित करने हेतु जिला उद्योग केन्द्र नये उद्यमियों की पहचान कर औद्योगिक विकास हेत कार्यरत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उद्यमियों को लघु उद्योग स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं । इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति , जनजाति एवं भूतपपूर्व सैनिकों एवं महिलाओं को भी नये उद्योग लगाने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है ।

( vii ) Provide advice (परामर्श प्रदान करना) –

उद्योग की स्थापना हेतु नये उद्यमियों एवं कामगारों को सहायता प्रदान करना एवं उद्यमियों की पूंजी विनियोजित करने , परियोजना प्रतिवेदन आदि । तैयार करने में जिला उद्योग केन्द्र द्वारा परामर्श दिया जाता है ।

( viii ) Technical training and research (तकनीकी प्रशिक्षण एवं अनुसंधान) –

लघु उद्यमियों को अपने विशेषज्ञों के माध्यम से उद्योगों की तकनीकी परामर्श एवं सहायता के सम्बंध में प्रशिक्षण भी दिलाया जाता है । लद्यु उद्योग क्षेत्र में उत्पादन प्रक्रिया अभिकल्प गुणवत्ता सुधार आदि के सम्बंध में अनुसंधान कार्य भी किया जाता है ।

( ix ) Maintain artistry (कलात्मकता बनाये रखना) –

केन्द्र हस्तशिल्पियों को ऋण एवं आवश्यक सुविधाएँ प्रदान कराते हैं तथा इनके द्वारा निर्मित वस्तुओं के विक्रय की व्यवस्था भी कराते हैं ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में कलात्मकता जीवित रह सके ।

( x ) Reviving sick units (रूग्ण इकाइयों को पुनर्जीवित करना) –

इन केन्द्रों द्वारा रूग्ण इकाइयों का पता भी किया जाता है तथा ऐसी इकाइयों को प्रमाण पत्र निर्गमित किये जाते है । रूग्ण इकाइयों को पुनर्जीवित करने के लिये केन्द्रों द्वारा आवश्यकतानुसार ऋण , अनुदान एवं अन्य सहायता भी प्रदान की जाती है ।

( xi ) Backward classes to support (पिछड़े वर्गों का सहयोग करना) –

समाज के पिछड़े एवं कमजोर वर्गों का पता लगाकर उनकी आर्थिक प्रगति हेतु प्रयास करना तथा उद्योगों की स्थापना , प्रशिक्षण , ऋण एवं अनुदान प्रदान करने में सहयोग करना । अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्ग वित्त विकास नि अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम की योजनाओं का क्रियान्वयन कर उन्हें सहयोग |

( vi Employment motivation (रोजगार प्रेरणा) –

ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार यवकों को स्वरोजगार योजना के लिये प्रेरणा प्रदान करने के साथ – साथ लघु एवं ग्रामीण उद्योगों की स्थापना के माध्यम से विकेन्द्रीकरण को प्रोत्साहित कर गाँवों के साधनों का समुचित दोहन करना भी इनका कार्य है ।

( xiii ) Benefit from various schemes (विभिन्न योजनाओं से लाभ पहुंचाना) –

शासन की विभिन्न योजनाओं उदाहरणार्थ स्वरोजगार योजना , केन्द्रीय अनुदान योजना , मार्जिन मनी योजना . ग्रामीण कामगार योजना ग्रामीण उद्योग कार्यक्रम आदि का क्रियान्वयन करना । इन सभी कार्यों के अतिरिक्त केन्द्रों द्वारा प्रगति की समीक्षा की जाती है एवं कार्य स्तर पर सामने आई कठिनाइयों के आधार पर आवश्यक संशोधनों हेतु शासन को सुझाव भी दिये जाते है ।

( xiv ) Central agency (केन्द्रीय अभिकरण) –

शिक्षित बेरोजगारों हेतु चलाई जा रही प्रधानमंत्री रोजगार योजना हेतु नोडल एजेन्सी के रूप में कार्य करना ।

( xv ) Project design (परियोजना रूपरेखा) –

लघु उद्योग क्षेत्र में उद्यमियों को परियोजना फ्रेफाइल्स उपलब्ध कराना ।

( xvi ) Single system (एकल प्रणाली) –

सिंगल एजेन्सी क्लियरेंस प्रणाली के अंतर्गत लघु उद्योगों को विभिन्न विभागों की उद्योग स्थापना से सम्बंधित गतिविधियों का संचालन कार्यालय जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के माध्यम से किया जाता है ।

( xvii ) Single system (एस्कॉर्ट सर्विस) –

‘ एस्कॉर्ट सर्विस ‘ योजनांतर्गत लघु उद्योगों को उद्योग स्थापनार्थ नोडल अधिकारी की सेवाएँ उपलब्ध कराना ।

( xviii ) Training (प्रशिक्षण) –

विभिन्न प्रशिक्षण योजनाओं के अंतर्गत उद्यमी विकास प्रशिक्षण के क्रियान्वयन हेतु व्यवस्था एवं सहयोग करना ।

( xix )Issue of registration letter ( पंजीयन पत्र का निर्गमन) –

उद्योग स्थापना के इच्छुक उद्यमियों के अस्थायी पंजीयन करना तथा उद्योग स्थापित हो जाने के बाद स्थायी पंजीयन पत्र जारी करना ।

 ( xx ) Land allocation (भूमि आवण्टन) –

जिला उद्योग केन्द्र के क्षेत्राधिकार में आने वाले औद्योगिक क्षेत्र / प्रक्षेत्रों में इच्छुक उपयुक्त उद्यमियों को भूमि तथा शेड़ आवण्टिल करना , किराए पर देना , क्रय भाड़ा आधार पर उपलब्ध कराना ।

( xvi ) Increase quality (गुणवत्ता में वृद्धि) –

उद्योगों के विस्तार तकनीकी उन्नयन डायवर्सिफिकेशन गुणवत्ता अभिवृद्धि हेतु सहयोग करना ।

( xxii ) Get support from institutions (संस्थाओं का सहयोग प्राप्त करना) –

उद्योगों को बैंक अथवा एन . एस . आई . सी . ( NSIC ) अथवा एस . आई . डी . बी . आई . ( SIDBI ) अथवा वित्त निगमों आदि संस्थाओं के माध्यम से वित्त एवं मशीनरी प्रदाय की व्यवस्था करना ।

( xxiii ) Concessions (रियायतें) –

प्रवेश कर में छूट , वाणिज्य कर में छूट , आई . एस . ओ . 9000 समतुल्य प्रमाण पत्र , परियोजना व्यय प्रतिपूर्ति संबंधी लधु उद्यमियों को मिलने वाली सुविधाएँ उन्हें उपलब्ध कराना । प्रकरण तैयार करके जिला स्तरीय समिति के सम्मुख स्वीकृति हेतु प्रस्तुत करना ।

( xxiv ) Market features (बाजार सुविधाएँ) –

लद्यु उद्योग निगम के माध्यम से लघु उद्योगों को विपणन सुविधा उपलब्ध कराना ।

( xxv ) Receipt of scarce goods (दुर्लभ माल की प्राप्ति )-

दुर्लभ तथा नियंत्रित कच्चे माल की प्राप्ति हेतु लधु क्षेत्र के उद्यमियों को पात्रता प्रमाण पत्र देना तथा उनके प्रकरण अनुशंसित कर सम्बंधित संस्थाओं को प्रेषित करना ।

( xxvi ) Acknowledgment (अभिस्वीकृति) –

इकाई की आवश्यकतानुसार सरलीकृत प्रणाली के अंतर्गत प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के निर्देशों के अनुसार गैर प्रदूषणकारी इकाइयों को अभिस्वीकृति जारी करना ।

( xxvii ) Active participation (सक्रिय भागीदारी) –

जिले अथवा क्षेत्र के औद्योगिक विकास से सम्बंधित अल्प समस्त योजनाओं , कार्यक्रमों के संचालन में सक्रिय भागीदारी निभाना ।


Final Word

दोस्तों इस पोस्ट को पूरा पढने के बाद आप तो ये समझ गये होंगे की Industrial Center In Hindi और आपको जरुर पसंद आई होगी , मैं हमेशा यही कोशिश करता हूँ की आपको सरल भाषा में समझा सकू , शायद आप इसे समझ गये होंगे इस पोस्ट में मैंने सभी Topics को Cover किया हूँ ताकि आपको किसी और पोस्ट को पढने की जरूरत ना हो , यदि इस पोस्ट से आपकी हेल्प हुई होगी तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं|

दोस्तों इस पोस्ट को पूरा पढने के बाद आप तो ये समझ गये होंगे की Industrial center In Hindi और आपको जरुर पसंद आई होगी , मैं हमेशा यही कोशिस करता हूँ की आपको सरल भासा में समझा सकू , शायद आप इसे समझ गये होंगे इस पोस्ट में मैंने सभी Topics को Cover किया हूँ ताकि आपको किसी और पोस्ट को पढने की जरूरत ना हो , यदि इस पोस्ट से आपकी हेल्प हुई होगी तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं|

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