जाने कंप्यूटर के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में – Computer In Hindi

Computer In Hindi
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जाने कंप्यूटर हिंदी में What Is Computer , Features Of Computer In Hindi , Full form of Computer ,characteristics of Computer In Hindi ,limitations of Computer, generation of Computer In Hindi , Types ,application, Computer In Hindi.

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Computer In Hindi –  हेल्लो Engineers कैसे हो , उम्मीद है आप ठीक होगे और पढाई तो चंगा होगा तो क्या आप जानते हो की Computer Kya Haiअगर नहीं जानते हो तो इस पोस्ट को पढ़ो जान जाओगे की Computer Kya Hai  तो चलिए शुरू करते हैं।

तो दोस्तों अगर आप जानना Computer In Hindi तो इस पोस्ट को पूरा पढ़े, और हां दोस्तों इस पोस्ट को यदि आप पूरा पढ़ेंगे तो आपको पूरा समझ आ जायेगा की Computer क्या हैं {Computer In Hindi }जनता हूँ दोस्त ये पोस्ट बहुत बड़ा हैं लेकिन एक बार पढोगे तो फिर कभी किसी से ये नहीं पूछोगे की What Is Computer In Hindi क्या है ?.


What Is Computer In Hindi

  • साधारण तौर पर परिभाषा यह है कि कम्प्यूटर एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक यन्त्र ( Machine  ) हैं जो अंकगणितीय और तार्किक क्रिया – कलापों ( लॉजिकल ऑपरेशन्स ) को execute करता हैं
  • दूसरे शब्दों में , “कम्प्यूटर को एक ऐसे यन्त्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसका प्रयोग निर्देशों की एक सूची के अनुरूप डाटा को व्यवस्थित ( manipulate ) करन में होता  है ।”
  • अगर हम इसे English में कहें तो ये कुछ इस प्रकार हैं:-  ” A computer is a electronic Machine , it uses electricity to work . It work on the basis of command Or instruction given by us  “
  • आज कम्प्यूटर केवल कुछ कार्यों तक ही सीमित नहीं है जैसाकि यह अपने शैशव – काल में था । पहले के कम्प्यूटर एक बड़े कमरे के आकार के होते थे जो आजकल के सैकड़ों पर्सनल कम्प्यूटरों के बराबर ऊर्जा का उपयोग करते थे ।
  • आजकल कम्प्यूटरों ने नाना प्रकार के रूप और आकार ग्रहण कर लिये हैं । अब कम्प्यूटरों को इतना छोटा बनाया जा सकता है कि उन्हें एक कलाई घड़ी में फिट किया जा सकता है तथा घड़ी की बैटरी से ही चलाया जा सकता है । आजकल पर्सनल तथा पोर्टेबल कम्प्यटरों का बाहल्य है ।
  • कम्प्यूटर में किसी भी program को store एवं execute करने की क्षमता होती है जो computer को अत्यंत सार्वभौमिक ( versatile) बनाते हैं तथा इन्हें कैलकुलेटर से भिन्न बनाते हैं ।
  • कोई भी कम्प्यूटर एक निश्चित एवं न्यूनतम क्षमता के साथ , सिद्धान्तत ( in principle ) , उन सभी कार्यों को सम्पन्न कर सकता है जो किसी अन्य कम्प्यूटर द्वारा संपन्न किये जा सकते हैं ।
  • इसलिए , personal digital assistant  से लेकर सुपर कम्प्यूटर तक की capacity and complexity वाले कम्प्यूटर भी समान संगणनात्मक ( computational ) कार्य को सम्पन्न कर सकते हैं अलबत्ता उनके लिए प्रोसेसिंग समय तथा स्टोरेज क्षमता ( storage capacity ) कोई मायने न रखते हों ।
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Full Form Computer In Hindi 

तकनीकी रूप से कंप्यूटर का कोई फुल फॉर्म नहीं होता है. फिर भी कंप्यूटर का एक काल्पनिक फुल फॉर्म है,

C – Commonly,
O – Operated,
M – Machine,
P – Particular ,
U – Used for ,
T – Technical
E – Educational,
R – Research
 
 

Features / Characteristics of Computer In Hindi 

  • आजकल कम्प्यूटर की क्षमता का उल्लेख करना तथा इसकी क्षमताओं को सूचिबद्ध करना अत्यंत आसान है । कोई साधारण आदमी भी इसकी क्षमताओं की गणना कर सकता है । आइए , तो हम इस प्रश्न का उत्तर जानें कि कम्प्यूटर की मुख्य विशेषताये क्या हैं ? ( What are the Features / Characteristics of Computer In Hindi )
  • कम्प्यूटर का उपयोग व्यापक है । यह आज विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न लोगों की सहायता कर रहा है । इसके अनुप्रयोगों ( applications ) को देखते हुए इसकी क्षमताएँ इस प्रकार हो सकती हैं ।
आधुनिक कंप्यूटर का जनक किसे कहा जाता है? ऐसे तो बहुत से लोगों ने इस Computing Field में अपना योगदान दिया है. लेकिन इन सब में से ज्यादा योगदान Charles Babage का है. क्यूंकि उन्होंने ही सबसे पहले Analytical Engine सन 1837 में निकला था.

1. गति ( Speed

  • कम्प्यूटर किसी भी कार्य को बहुत तेजी से कर सकता है । कम्प्यूटर कुछ ही क्षण में गुणा / भाग या जोड़ / घटाव की करोड़ों क्रियाएँ ( operations ) कर सकता है । यदि आपको 440 x56 का गुणा करना हो तो इसमें आपको लगभग 1 से लेकर 2 मिनट तक का समय लग सकता है
  • यही कार्य पॉकेट कैलकुलेटर से करें तो वह लगभग 5 सेकेण्ड में किया जा सकता है । लेकिन एक आधुनिक कम्प्यूटर में ऐसे 30 लाख ऑपरेशन्स एक साथ कुछ ही सेकण्डों ( seconds ) में सम्पन्न हो सकते हैं ।

2. स्वचालन ( Automation )

कम्प्यूटर अपना कार्य , प्रोग्राम ( निर्देशों के एक समूह ) के एक बार लोड हो जाने पर स्वतः करता रहता है । उदाहरणार्थ , किसी डाटा एन्ट्री प्रोग्राम पर कार्य कर रहे ऑपरेटर को स्वयं रिपोर्ट तैयार करने की आवश्यकता नहीं , अपितु कम्प्यूटर प्रविष्ट डाटा ( entered data के आधार पर स्वयं ही रिपोर्ट देता रहता है ।

3. शुद्धता ( Accuracy )

कम्प्यूटर अपना कार्य बिना किसी गलती के करता है । कम्प्यटर द्वारा गलती किये जाने के कई उदाहरण सामने आते हैं , लेकिन इन सभी गलतियों में या तो गलती कम्प्यूटर में डाटा एन्टर करते समय की गयी होती है , या यह कभी प्रोग्राम के डवलपमेंट के समय की होती है । कम्प्यूटर स्वयं कभी गलती नहीं करता है ।

4. सार्वभौमिकता ( Versatility ) 

  • कम्प्यूटर अपनी सार्वभौमिकता ( versatility ) के गुण के कारण बड़ी तेजी से सारी दुनिया में छाता जा रहा है । कम्प्यूटर गणितीय कार्यों को सम्पन्न करने के साथ – साथ व्यावसायिक कार्यों के लिए भी प्रयोग में लाया जाने लगा है ।
  • कम्प्यूटर में प्रिंटर संयोजित करके सभी प्रकार की सूचनाएँ कई रूपों में प्रस्तुत की जा सकती हैं । कम्प्यूटर को टेलीफोन लाइन से जोड़कर सारी दुनिया से सूचनाओं का आदान – प्रदान किया जा सकता है । कम्प्यूटर की सहायता से तरह – तरह के खेल खेले जा सकते हैं ।

5. उच्च स्टोरेज क्षमता ( High Storage Capacity )

एक कम्प्यूटर सिस्टम की डाय स्टोरेज क्षमता अत्यधिक होती है । कम्प्यूटर लाखों शब्दों को बहुत कम जगह में स्टोर करके रख सकता है ।यह सभी प्रकार के डाय , चित्र , प्रोग्राम , Text तथा आवाज को कई वर्षों तक स्टोर करके रख सकता है । हम कभी भी यह सूचना कुछ ही सेकेण्ड में प्राप्त कर सकते हैं तथा अपने उपयोग में ला सकते ।

6. कर्मठता ( Diligence ) 

आम मानव किसी कार्य को निरन्तर कुछ ही घण्टों तक करने में थका जाता है । इसके ठीक विपरीत , कम्प्यूटर किसी कार्य को निरन्तर कई घण्टों , दिनों तथा महीनों तक करने की क्षमता रखता है । इसके बावजूद उसके कार्य करने की क्षमता में न तो कोई कमी आती है और न ही कार्य के परिणाम की शुद्धता घटती है । कम्प्यूटर किसी भी दिये गये कार्य को बिना किसी भेद – भाव के करता है , चाहे वह कार्य रुचिकर हो या उबाऊ ।

7. विश्वसनीयता ( Reliability )

जैसाकि पहले उल्लेख किया जा चुका है कि कम्प्यूटर में ठीक – ठीक स्टोरेज , स्वचालन , डाटा की यथास्थिति में पुन : प्राप्ति , कर्मठता तथा उच्च गति जैसी क्षमताएँ विद्यमान हैं । यही क्षमताएँ कम्प्यूटरों को आज विश्वसनीय ( reliable ) बनाते हैं । सभी व्यवसाय तथा विद्वता ( intellects  ) के लोग इस पर पूरी तरह से निर्भर हैं ।


कम्प्यूटर को सीमाएं ( Limitations Of Computer In Hindi  )

  • कम्प्यूटर की कमियों का उल्लेख एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, परन्तु यदि हम ठीक से विचार हम कम्प्यूटर की निम्न कमियों पर प्रकाश डाल सकते हैं , तो आइए हम जानें कि कंप्यूटर की मुख्य कमियाँ क्या – क्या हैं ? ( What are the main limitations of a computer ?
  • कम्प्यूटर की क्षमताएँ ही मूलतः आज इसकी लोकप्रियता के कारण हैं । किन्तु किसी मानव – निर्मित प्रणाली ( system ) की सीमाएँ या कमियाँ हो सकती हैं । इसके बगैर किसी प्रणाली की कल्पना शायद नहीं की जा सकती है । अत : कम्प्यूटर की कमियों को भी जानना आवश्यक है । इसकी कमियाँ इस प्रकार हैं-

1. बुद्धिमत्ता की कमी ( Lack of Intelligence )

  • कम्प्यूटर एक मशीन है । इसका कार्य यूजर के निर्देशों को कार्यान्वित ( execute ) करना है । कम्प्यूटर किसी भी स्थिति में न तो निर्देश से अधिक और न ही इससे कम का execute करता है । कम्प्यूटर एक बिल्कुल मूर्ख नौकर की भाँति कार्य करता है । इसे आप यदि कहें कि जाओ और बाजार से सब्जी खरीद लो । ऐसा निर्देश देने पर वह बाजार जायेगा और सब्जी भी खरीदेगा परन्तु सब्जी लेकर घर तक कभी नहीं लौटेगा । यहाँ प्रश्न उठता है – क्यों ?
  • इसका सीधा उत्तर है कि आपने उससे सब्जी खरीदने को अवश्य कहा परन्तु उसे घर लाने को नहीं कहा  इसका अर्थ यह है कि कम्प्यूटर के अंदर सामान्य बोध नहीं होता है । यद्यपि कम्प्यूटर वैज्ञानिक आज के कम्प्यूटर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बारे में शोध कर रहे हैं , इसमें सफलता मिलने पर कम्प्यूटर के अंदर बुद्धिमत्ता की कमी तो कुछ हद तक दूर हो सकेगी तथापि । मानवीय बुद्धिमता की तुलना कभी भी एक मशीनी बुद्धिमता के साथ नहीं हो पायेगी।।

2. आत्मरक्षा करन म अक्षम ( Unable In Self Protection )

  • कम्प्यूटर चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो परन्तु उसका नियंत्रण ( कंट्रोल ) मानव के पास ही होता है तथा वह जिस प्रकार उसे नियंत्रित ( control ) करता है वह नियंत्रित होता है । कम्प्यूटर किसी भी प्रकार आत्मरक्षा नहीं कर सकता है । उदाहरणार्थ श्याम नामक किसी व्यक्ति ने एक ई – मेल account बनाया तथा एक विशेष password उसने अपने इस account को खोलने के लिए चुना ।
  • कम्प्यूटर अब यह नहीं देखता कि उस अकाउन्ट को खोलने वाला श्याम ही है , बल्कि यह देखता है कि पासवर्ड क्या है । ठीक उसी प्रकार स्वचालित टेलर – मशीन ( Automatic Teller Machine- TAM  ) से पैसा कौन निकाल रहा है , इसकी चिंता कम्प्यूटर नहीं करता , बल्कि वह केवल कार्ड के साथ पासवर्ड वैध है कि नहीं , इसकी जाँच करता है । यह दृष्टिकोण कम्प्यूटर को एक ओर विश्वसनीय बनाता है तो दूसरी ओर इसकी विश्वसनीयता पर एक प्रश्नचिह्न भी खड़ा करता है ।

Generations of Computer In Hindi

कम्प्यूटरों की पीढ़ी सम्भवतः एक महत्त्वपूर्ण चर्चा का विषय है । आइए जानते हैं कि कम्प्यूटर की विभिन्न पीढ़ियाँ , उनके काल , उन पीढ़ियों के मुख्य विकास तथा विशेषताएँ क्या – क्या हैं ? ( What are the different generations of computer and their period , main invention and characteristics ? )

सन 1946 में प्रथम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस , वैक्यूम ट्यूब ( Vacuum tube ) यक्त पनि ( ENIAC ) कम्प्यूटर की शुरूआत ने कम्प्यूटर के विकास को एक आधार प्रदान किया । कम्प्यटर । के विकास के इस क्रम में कई महत्वपूर्ण डिवाइसेज की सहायता से कम्प्यूटर ने आज तक की यात्रा तय की । इस विकास के क्रम को हम कम्प्यूटर में हुए मुख्य परिवर्तन के आधार पर निम्नलिखित पाँच पीढ़ियों में बाँटते हैं :-

  1. प्रथम पीढ़ी ( First Generation ) –              1946 – 1956
  2. द्वितीय पीढ़ी ( Second Generation ) –      1956 – 1964
  3. तृतीय पीढ़ी ( Third Generation ) –            1964 – 1971
  4. चतुर्थ पीढ़ी ( Fourth Generation ) –         1971  वर्तमान से
  5. पंचम पीढ़ी ( Fifth Generation ) –              वर्तमान और भविष्य

1.कम्प्यूटरों की प्रथम पीढ़ी ( First Generation of Computers )

  • सन् 1946 में एकर्ट और मुचली के एनिएक ( ENIAC ) नामक कम्प्यूटर के निर्माण से ही कम्प्यूटर की प्रथम पीढ़ी का प्रारम्भ हो गया । इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया जाता था जिसका आविष्कार सन् 1904 में किया गया ।
  • इस पीढ़ी में एनिएक के अलावा और भी कई अन्य कम्प्यूटरों का निर्माण हुआ जिनके नाम एडसैक ( EDSAC – Electronic Delay storage Automatic Calculator ) , एडवैक ( EDVAC – Electronic Discrete Variable automatic Computer ) , यूनिवैक ( UNIVAC – Universal Automatic Computer ) एवं यूनिवैक – 1 ( UNIVAC – 1 ) है !

प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित लक्षण ( attributes ) थे-

  • वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग
  • पंचकार्ड पर आधारित
  • स्टोरेज़ के लिए मैग्नेटिक ड्रम का प्रयोग
  • कम नाजुक और कम विश्वसनीय
  • बहुत सारे एयर – कंडीशनरों का प्रयोग
  • मशीनी तथा असेम्बली भाषाओं ( machine and Assembly languages ) में प्रोग्रामिंग
Vacuum Tube
Vacuum Tube  

2. कम्प्यूटरों की द्वितीय पीढ़ी ( Second Generation of Computers )

कम्प्यूटरों की द्वितीय पीढ़ी की शुरूआत कम्प्यूटरों में (Transistor) ट्रांजिस्टर का उपयोग करने से हुई । विलियम शॉकले ( William Shockley ) ने टॉजिस्टर का आविष्कार सन् 1947 में किया था जिसका उपयोग द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर किया जाने लगा । ट्रॉजिस्टर के उपयोग ने कम्प्यूटरों को वैक्यूम ट्यूबों के अपेक्षाकृत अधिक गति एवं विश्वसनीयता ( reliability ) प्रदान की ।

द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित मुख्य लक्षण ( main attributes ) थे –

  • वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रॉजिस्टर का उपयोग
  • अपेक्षाकृत छोटे एवं ऊर्जा की कम खपत .
  • अधिक तेज एवं विश्वसनीय
  • प्रथम पीढ़ी की अपेक्षा कम खर्चीले
  • COBOL एवं FORTRAN जैसी उच्चस्तरीय ( high level ) प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास
  • स्टोरेज डिवाइस , प्रिंटर एवं ऑपरेटिंग सिस्टम आदि का प्रयोग
Transistor
Transistor

3. कम्प्यूटरों की तृतीय पीढ़ी ( Third Generation of Computers )

कम्प्यूटरों की तृतीय पीढ़ी की शुरूआत 1964 में हुई । इस पीढ़ी ने कम्प्यूटरों को आई . सी० प्रदान किया । आई . सी . अर्थात् Integrated Circuit का आविष्कार टेक्सास इन्स्ट्रमेन्ट कम्पनी ( Texas Instrument Company ) के एक अभियंता जैक किल्बी ( Jack Kilby ) ने किया था । इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ICL 2903 , ICL 1900 , UNIVAC 1108 और System 1360 प्रमुख थे ।

तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित मुख्य लक्षण ( main attributes ) थे –

  • Integrated circuit का प्रयोग
  • प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ियों की अपेक्षा आकार एवं वजन बहुत कम
  • अधिक विश्वसनीय
  • portable एवं आसान रख – रखाव ( Portable and easy to maintain )
  • उच्चस्तरीय भाषाओं का बृहद् स्तर पर प्रयोग
Integrated Circuit
Integrated Circuit

4. कम्यूटरों की चतुर्थ पीढ़ी ( Fourth Generation of Computers )

सन् 1971 से लेकर आज तक के कम्प्यूटरों को चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटरों की श्रेणी में रखा गया है । इस पीढ़ी में Integrated Circuit को अधिक विकसित किया गया जिसे Large Integrated Circuit कहा जाता है ।

अब लगभग 300000 ट्रांजिस्टरों के बराबर का परिपथ एक इंच के चौथाई भाग में समाहित हो सकता है । इस आविष्कार से पूरी सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट एक छोटी – सी चिप में आ गयी जिसे माइक्रो प्रोसेसर कहा जाता है । इसके उपयोग वाले कम्प्यूटरों को माइक्रो कम्प्यूटर कहा गया ।

ALTAIR 8800 सबसे पहला माइक्रो कम्प्यूटर था जिसे मिट्स MITS ) नामक कम्पनी ने बनाया था । इसी कम्प्यूटर पर बिल गेटस ( Bill Gates ) , जो उस समय हावर्ड विश्वविद्यालय के छात्र थे , ने बेसिक भाषा ( Basic Language ) को स्थापित ( Install ) किया था । इस सफल प्रयास के बाद बिल गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी की स्थापना की जो दुनिया में सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी कम्पनी है । इस कारण , बिल गेट्स को दुनिया भर के कम्प्यूटरों का स्वामी ( Owner of Computers ) कहा जाता है ।

इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित मुख्य लक्षण ( main attribute ) हैं – .

  • Very Large Scale Integration तकनीक का उपयोग .
  • आकार में अद्भुत कमी .
  • साधारण आदमी की क्रय – क्षमता के अंदर
  • अधिक प्रभावशाली , विश्वसनीय एवं अद्भुत गतिमान
  • अधिक मेमोरी क्षमता
  • कम्प्यूटरों के विभिन्न नेटवर्क का विकास
 Large Integrated Circuit
 Large Integrated Circuit

5. कम्प्यूटरों की पंचम पीढ़ी ( Fifth Generation of Computers )

कम्प्यूटरों की पाँचवीं पीढ़ी में वर्तमान के शक्तिशाली एवं उच्च तकनीक वाले कम्प्यूटर से लेकर भविष्य में आने वाले कम्प्यूटरों तक को शामिल किया गया है । इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में कम्प्यूटर वैज्ञानिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( Artificial intelligence ) को समाहित करने के लिए प्रयासरत हैं । आज के कम्प्यूटर इतने उन्नत हैं कि वे हर विशिष्ट क्षेत्र , मूल रूप से अकाउन्टिंग , इंजिनियरिंग , भवन – निर्माण , अंतरिक्ष तथा दूसरे प्रकार के शोध – कार्य ( researches ) में उपयोग किये जा रहे हैं ।

इस पीढ़ी के प्रारम्भ में , कम्प्यूटरों को परस्पर संयोजित ( Inter – connected ) किया गया ताकि डाय तथा सूचना की आपस में साझेदारी तथा आदान – प्रदान हो सके । नये इंटिग्रेटेड सर्किट , अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटिग्रेटिड सर्किट ( Ultra Large Scale Integrated Circuit ) ने पुराने इंटिग्रेटेड सर्किट , वेरी लार्ज स्केल इंटिग्रेटेड सर्किट ( Very Large Scale Integrated Circuit ) को रिप्लेस करना शुरू किया । इस पीढ़ी में प्रतिदिन कम्प्यूटर के आकार को घटाने का प्रयास किया जा रहा है जिसके फलस्वरूप हम घड़ी के आकार में भी कम्प्यूटर को देख सकते हैं ।

पोर्टेबल ( Portable ) कम्प्यूटर तथा इण्टरनेट की सहायता से जब और जहाँ से हम चाहें दस्तावेज ( documents ) , सूचना तथा पैसे का आदान – प्रदान कर सकते हैं ।

पाँचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित लक्षण ( attributes ) हो सकते हैं

1 . कम्प्यूटरों के विभिन्न आकार ( Different Size of Computers ) – आवश्यकतानसार कम्प्यूटर के आकार और स्ट्रक्चर को तैयार किया जाता है । आज विभिन्न मॉडलों – डेस्क टॉप ( Desk Top ) , लैप टॉप ( Lap Top ) , पाम टॉप ( Palm Top ) आदि में कम्प्यूटर उपलब्ध हैं ।

2 . इण्टरनेट ( Internet ) – यह कम्प्यूटर का एक ग्लोबल नेटवर्क है । दुनिया भर के कम्प्यूटर नेटवर्क इण्टरनेट से जुड़े होते हैं और इस तरह हम कहीं से भी , घर बैठे – अपने स्वास्थ्य , चिकित्सा , विज्ञान , कला एवं संस्कृति आदि – लगभग सभी विषयों पर विविध सामग्री इण्टरनेट पर प्राप्त कर सकते हैं । .

3 . मल्टीमीडिया ( Multimedia ) – ध्वनि ( Sound ) , दृश्य ( Graphics ) या चित्र और टेक्स्ट ( Text ) के सम्मिलित रूप , मल्टीमीडिया का इस पीढ़ी में विकास हुआ है ।

4 . नये अनुप्रयोग ( New Applications ) – कम्प्यूटर की तकनीक अतिविकसित होने के कारण इसके अनुप्रयोगों ( applications ) यथा फिल्म – निर्माण , यातायात – नियन्त्रण , उद्योग , व्यापार एवं रिसर्च आदि के क्षेत्र में ।

Ultra Large Scale Integrated Circuit
Ultra Large Scale Integrated Circuit 

Types of Computer  In Hindi 

पिछले सेक्शन में हमने कम्प्यूटर की परिभाषा , कम्प्यूटर की विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगिता तथा इसके विकास की भरपूर चर्चा की । इस सेक्शन में हम जानते हैं कि कम्प्यूटर के कितने प्रकार हैं ? ( How many types are there of a computer ? )

Types of Computer  In Hindi 
Types of Computer  In Hindi 

वस्तुत : कंप्यूटरों का सीधे – सीधे अर्थात् प्रत्यक्षतः ( direct ) वर्गीकरण करना कठिन है , इसलिए इन्हें हम निम्नलिखित तीन आधारों पर वर्गीकृत करते हैं : – कार्यप्रणाली ( mechanism ) – उद्देश्य ( purpose ) – आकार ( size )

1. कार्यप्रणाली ( Mechanism ) के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार ( Types of Computers based on Mechanism )

कंप्यूटरों द्वारा किये जाने वाले कार्यों के तरीके के आधार पर इन्हें एनालॉग , डिजिटल तथा हायब्रीडा ( hybrid ) में वर्गीकृत किया जा सकता है ।

A. एनालॉग कम्प्यूटर ( Analog Computer ):-

  • एनालॉग कम्प्यूटर वे कम्प्यूटर होते हैं जो भौतिक मात्राओं ( physical parameters ) , जैसे – दाब ( Pressure ) , तापमान , लम्बाई आदि को मापकर उनके परिमाप ( values ) अंकों में हैं । ये कम्प्यूटर किसी राशि का परिमाप तुलना के आधार पर करते हैं । जैसे कि एक थर्मामीटर कोई गणना नहीं करता है अपितु यह पारे के सम्बन्धित प्रसार ( Relative Expansion ) की तुलना करके शरीर के तापमान को मापता है ।
  • एनालॉग कम्प्यूटर मुख्य रूप से विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रयोग किये जाते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में मात्राओं ( Quantities ) का अधिक उपयोग होता है । ये कम्प्यूटर केवल अनुमानित परिमाप ( approximate value ) ही देते हैं ।
  • उदाहरणार्थ , एक पेट्रोल पम्प में लगा एनालॉग कम्प्यूटर , पम्प से निकले पेट्रोल की मात्रा को मापता है और लीटर में दिखाता है तथा उसके मूल्य की गणना करके स्क्रीन पर दिखाता है ।

B.डिजिटल कम्प्यूटर ( Digital Computer ) :-

यह वह कम्प्यूटर होता है जो अंकों ( digits ) की गणना करता है । जब अधिकतर लोग कम्प्यूटर के बारे में विचार – विमर्श करते हैं तो डिजिटल कम्प्यूटर ही केन्द्र – बिन्दु होता है । ये  वे कम्प्यूटर हैं जो व्यापार ( Business ) को चलाते हैं , घर का बजट तैयार करते हैं और अन्य सभी कार्य , जो कम्प्यूटर कर सकता है , करते हैं । अतः यह सत्य है कि अधिकतर कम्प्यूटर ,Digital Computer की श्रेणी में आते हैं । डिजिटल कम्प्यूटर डाटा ( Data ) और प्रोग्राम ( Program ) को 0 तथा 1 में परिवर्तित करके उनको इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में ले आता है ।’

Digital Computer
Digital Computer

2. उद्देस्य के आधार पर computers के प्रकार ( Types Of Computer Based On Purpose )

A. सामान्य – उद्देशीय कम्प्यूटर ( General Purpose Computers )

सामान्य उददेशीय कम्प्यूटर ऐसे कम्प्यूटर हैं जिनमें अनेक प्रकार के कार्य करने की क्षमता होती है लेकिन ये वर्ड – प्रोसेसिंग से पत्र व दस्तावेज ( documents ) तैयार करना , दस्तावजा को प्रिंट करना , डाटाबेस बनाना आदि जैसे सामान्य कार्यों को ही सम्पन्न करते हैं । सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर के Internal Circuit में लगे सी . पी . यू . ( CPU ) की कीमत भी कम होती है । इन कम्प्यूटरों में हम किसी विशिष्ट अनप्रयोग ( special application ) हेतु पृथक् । से डिवाइस नहीं जोड़ सकते क्योंकि इनके सी . पी . य . ( CPU ) की क्षमता सीमित होती है । ।

B. विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर ( Special Purpose Computers )-

  • विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर ऐसे कम्प्यूटर हैं जिन्हें किसी विशेष कार्य के लिए तैयार किया जाता है । इनके सी . पी . यू . ( CPU ) की क्षमता उस कार्य के अनुरूप होती है जिसके लिए इन्हें तैयार किया गया है । इनमें यदि अनेक सी . पी . यू ( CPU ) की आवश्यकता हो तो इनकी स्ट्रक्चर ( संरचना ) अनेक सी . पी . यू . ( CPU ) वाली कर दी जाती है
  • उदाहरणार्थ , Music Recording ( संगीत – संपादन ) करने हेतु किसी स्टूडियो ( Studio ) में लगाया जाने वाला कम्प्यूटर विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर ( Special Purpose Computer ) होगा । इसमें संगीत ( music ) से सम्बन्धित उपकरणों को जोड़ा जा सकता है और संगीत को विभिन्न प्रभाव देकर इसकी रिकार्डिंग की जा सकती है ।
  • फिल्म उद्योग में फिल्म – एडिटिंग के लिए विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटरों का उपयोग किया जाता है । इसके अलावा विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटर निम्नलिखित क्षेत्रों में भी उपयोगी हैं :
  • अन्तरिक्ष – विज्ञान .
  • मौसम विज्ञान
  • युद्ध में प्रक्षेपास्त्रों का नियन्त्रण
  • उपग्रह – संचालन •
  • अनुसंधान एवं शोध
  • चिकित्सा
  • यातायात – नियन्त्रण ( traffic control )
  • समुद्र – विज्ञान
  • कृषि
  • विज्ञान इंजीनियरिंग

3. आकार के आधार पर कम्पूटरो के प्रकार ( Types Of Computers Based On Size ) 

कम्पूटरो को उनके कार्य के आधार पर  बांटा गया -हैं

 A. माइक्रो कम्प्यूटर ( Micro Computers )-

  • तकनीक के क्षेत्र में सन् 1970 में एक क्रांतिकारी आविष्कार हुआ । यह आविष्कार माइक्रोप्रोसेसर ( Microprocessor ) का था जिसके उपयोग से सस्ती कम्प्यूटर – प्रणाली ( computer system ) बनाना सम्भव हुआ । ये कम्प्यूटर एक डेस्क ( Desk ) पर अथवा एक ब्रीफकेस में भी रखे जा सकते हैं । ये छोटे कम्प्यूटर माइक्रो कम्प्यूटर कहलाते हैं । माइक्रो कम्प्यूटर कीमत में सस्ते और आकार में छोटे होते हैं इसलिए ये व्यक्तिगत उपयोग ( personal use ) के लिए घर या बाहर किसी भी कार्यक्षेत्र में लगाये जा सकते हैं । अतः इन्हें पर्सनल कम्प्यूटर ( Personal Computer ) या पी . सी . ( PC ) भी कहते हैं ।
  • माइक्रो कम्प्यूटर घरों में , विद्यालयों की कक्षाओं में और दफ्तरों में लगाये जाते हैं । घरों में ये परिवार के खर्च का ब्यौरा रखते हैं तथा मनोरंजन के साधन के रूप में काम आते हैं । विद्यालयों की कक्षाओं में ये विद्यार्थियों के प्रश्नपत्र तैयार करने तथा विभिन्न विषयों की शिक्षा प्रदान करने आदि के काम आते हैं । दफ्तरों में माइक्रो कम्प्यूटर एक सहायक के रूप में काम आते हैं । इनसे पत्र – लेखन , फाइलों का रख – रखाव व अन्य कार्य किये जा सकते हैं ।
Micro Computer
Micro Computer
 
  • व्यापार में माइक्रो कम्प्यूटरों का व्यापक उपयोग है । व्यवसाय बड़ा हो या छोटा , माइक्रो कम्प्यूटर दोनों में उपयोगी है । छोटे व्यवसाय में यह किये गये व्यापार का ब्यौरा रखता है , पत्र – व्यवहार के लिए पत्र तैयार करता है , उपभोक्ताओं के लिए बिल ( Bill ) बनाकर देता है और नियमित लेखांकन ( Ad करता है । बड़े व्यवसायी इन्हें वर्ड प्रोसेसिंग ( Word Processing ) और फाइल मेन्टेनेन्स ( maintenance ) में उपयोग करते हैं । विश्लेषण के साधन के रूप व्यापार में निर्णय भी लिये जाते हैं में उपयोग करते हैं । विश्लेषण के साधन के रूप में इनका उपयोग कर व्यापार में निर्णय भी लिए जाते हैं
  • माइक्रो कम्प्यूटर में एक ही सी . पी . यू . ( CPU ) लगा होता है । वर्तमान समय में माइक्रो कम्प्या का विकास तेजी से हो रहा है । परिणामस्वरूप माइक्रो कम्प्यूटर एक पुस्तक के आकार , फोन के आकार और यहाँ तक कि घड़ी के आकार में भी आ रहे हैं । माइक्रो कम्प्यूटर 20 – 25 हजार रुपये से 1 लाख रुपये तक की कीमत में उपलब्ध हैं ।
  • माइक्रोप्रोसेसर तकनीक में बढ़ते हुए विकास के साथ माइक्रो कम्प्यूटर छोटा तथा पोर्टेबल हो गया है । ये विभिन्न आकार तथा स्वरूप में पाये जाते हैं , जिनकी चर्चा आगे है –
  1. डेस्कटॉप कम्प्यूटर ( Desktop Computers )
  2. लैपटॉप / नोटबुक ( Laptops / Notebooks ) 
  3. पामटॉप कम्प्यूटर ( Palmtop Computers )
  4. टैबलेट पी सी (Tablet PC)
1.डेस्कटॉप कम्प्यूटर ( Desktop Computers )- 

पर्सनल कम्प्यूटर का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला प्रकार डेस्कटॉप कम्प्यूटर है । डेस्कटॉप जैसाकि नाम से ही उपलक्षित होता है , एक ऐसा कम्प्यूटर है जिसे डेस्क पर सेट किया जा सकता है तथा यह वहीं से कार्य कर सकता है । इसमें एक सी . पी . यू . ( एक कैबिनेट जो मदरबोर्ड तथा अन्य भागों को ढके रहता है ) , मॉनीटर , की – बोर्ड तथा माउस होते हैं । इन्हें हम अलग – अलग देख सकते हैं ( देखें चित्र 1 . 27 ) । डेस्कटॉप कम्प्यूटर की कीमत कम होती है परन्तु इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किल होता है । आज , आप नवीनतम कनफिगयूरेशन ( configuration ) के साथ डेस्कटॉप कम्प्यूटर 20 – 25 हजार रुपयों की रेन्ज में ले सकते हैं ।

Desktop Computers
Desktop Computers
2.नोटबुक तथा लैपटॉप ( Notebook and Laptop ) –
  • नोटबुक तथा लैपटॉप पर्यायवाची होते हैं यद्यपि कई कम्पनियाँ लैपटॉप के साथ अन्य फीचर्स को प्रदान करते हैं तथा लैपटॉप को नोटबुक की अपेक्षाकृत थोड़े महँगे दामों में बेचते हैं । डेस्कटॉप कम्प्यूटर से भिन्न , नोटबुक तथा लैपटॉप में कुछ भी अलग से नहीं होता है । सभी इनपुट , आउटपुट तथा प्रोसेसिंग युक्तियाँ एक डिब्बे में समावेशित होती हैं  जो आपकी यात्रा में प्रयोग किये जाने वाले ब्रीफकेस ( briefcase ) की भाँति प्रतीत होता है ।
  • आमतौर पर यात्रा के दौरान या कर्सी पर । बैठकर इन्हें गोद में रखकर परिचालित किया जा सकता है इसलिए इसे लैप टॉप अर्थात गोद के । ऊपर ( laptop or at the top of lap ) कहा जाता है । नोटबुक तथा लैपटॉप वजन में एक किलोग्राम से भी कम होते हैं । ये डेस्कटॉप से महंगे होते हैं परन्त इन्हें एक जगह से दसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है । यह पोर्टेबल होता है अर्थात् इसे आप कहीं भी अपने साथ ले जा सकते हैं । यह अत्यंत निजी होते हैं । नोटबुक तथा लैपटॉप में बैटरी पैक होता है जो बिजली जाने के बाद सामान्यतः 4 – 5 घंटे बैकअप प्रदान करता है ।
Notebook and Laptop
Notebook and Laptop
3.पामटॉप कम्प्यूटर ( Palmtop computer )-

पॉमटॉप सबसे अधिक पोर्टेबल ( portable ) पर्सनल कम्प्यूटर होते हैं तथा आपके हथेली में पकडे जा सकते हैं । इन्हें पॉकेट कम्प्यूटर भी कहा जाता है । यद्यपि यह अधिकारिक रूप से मान्य नहीं है । पॉमटॉप कार्यालयों में प्रचलित नहीं है । पॉमटॉप कम्प्यूटर कई स्वरूप में अब उपलब्ध है । ये टैबलेट पी . सी . तथा पी . डी . ए . हो सकते हैं ।

Palmtop computer
Palmtop computer
4. टैबलेट पी सी ( Tablet PC )-

टैबलेट पी . सी . अधिक पोर्टेबल तथा लैपटॉप कम्प्यूटर के सभी लक्षणों ( फीचर्स ) से यक्त होते हैं । ये लैपटॉप की तुलना में अधिक हल्के होते हैं तथा निर्देशों को इनपट करने के लिए स्थायलस ( stylus ) या डिजिटल पेन का प्रयोग करते हैं । यूजर ( user ) निर्देशों को स्क्रीन पर सीधे – सीधे लिख सकता है । आपके टैबलेट पी . सी . में पूर्व – निर्मित माइक्रोफोन तथा विशिष्ट सॉफ्टवेयर होता है , जो इनपुट को मौखिक रूप में प्राप्त करता है । आप इसका प्रयोग एक सी . पी . य . की तरह परम्परागत तरीके से की – बोर्ड तथा एक मॉनीटर को जोड़ने में कर सकते हैं ।

 Tablet PC
Tablet PC

B. वर्कस्टेशन ( Workstation )

  • वर्कस्टेशन आकार में माइक्रो कम्प्यूटर के समान होने के बावजूद अधिक शक्तिशाली होते हैं तथा ये । विशेष रूप से जटिल ( complex ) कार्यो के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं । इस प्रकार के कम्प्यूटर माइको । कम्प्यूटर के सभी लक्षणों को अपने अन्दर रखते हैं तथा माइक्रो कम्प्यूटर के समान ही एक समय एक ही यजर ( user ) के द्वारा संचालित किए जाते हैं । इनकी कार्यक्षमता मिनी कम्प्यूटरों के समान  होती है ।
  • इनका प्रयोग मूलत : वैज्ञानिकों , अभियंताओं ( Engineers ) तथा अन्य विशेषज्ञों द्वारा होता है । ये माइको कम्प्यूटर की अपेक्षा महँगे होते हैं । किन्तु , माइक्रो कम्प्यूटर में अपार बदलाव तथा इसके बृहद् स्तर पर विकास के बाद अब वर्कस्टेशन का प्रचलन कम हुआ है तथा माइक्रो कम्प्यूटर के उन्नत उत्पाद ने इसका स्थान लेना प्रारम्भ कर दिया है । अब माइको कम्प्यूटर भी उन्नत ग्राफिक्स ( advanced graphics ) तथा संचार – क्षमताओं के साथ बाजार में उपलब्ध हो रहे हैं ।
Workstation
Workstation

 C. मिनी कम्प्यूटर ( Mini Computer ) –

  • ये कम्प्यूटर मध्यम आकार के कम्प्यूटर होते हैं । ये माइक्रो कम्प्यूटर ( Micro Computer ) की तुलना में अधिक कार्यक्षमता वाले होते हैं ।
  • मिनी कम्प्यूटरों की कीमत माइक्रो कम्प्यूटरों से अधिक होती है और ये व्यक्तिगत रूप से नहीं खरीदे जा सकते हैं । इन्हें छोटी या मध्यम स्तर की कम्पनियाँ काम में लेती हैं । इस कम्प्यूटर पर एक से अधिक व्यक्ति काम कर सकते हैं ।
  • मिनी कम्प्यूटर में एक से अधिक सी . पी . यू . ( CPU ) होते हैं । इनकी मेमोरी ( Memory ) और गति ( Speed ) माइक्रो कम्प्यूटर से अधिक और मेनफ्रेम कम्प्यूटर से कम होती है । ये मेनफ्रेम कम्प्यूटर से सस्ते होते हैं ।
  • मध्यम स्तर की कम्पनियों में मिनी कम्प्यूटर ही उपयोगी माने जाते हैं । यद्यपि अनेक व्यक्तियों के लिए अलग – अलग माइक्रो कम्प्यूटर लगाना भी सम्भव है , परन्तु यह महँगा पड़ता है । प्रति व्यक्ति । माइक्रो कम्प्यूटर की अपेक्षा मिनी कम्प्यूटर कम्पनी में केन्द्रीय कम्प्यूटर के रूप में कार्य करता है और इससे कम्प्यूटर के संसाधनों का साझा हो जाता है । इसके अलावा अनेक माइक्रो कम्प्यूटर होने पर उनके रख – रखाव व मरम्मत की समस्या बढ़ जाती है ।
  • एक मध्यम स्तर की कम्पनी मिनी कम्प्यूटर का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए कर सकता  –
  1. कर्मचारियों के वेतनपत्र ( Payroll ) तैयार करना
  2. वित्तीय खातों का रख – रखाव
  3. लागत – विश्लेषण
  4. बिक्री – विश्लेषण
  5. उत्पादन – योजना

मिनी कम्प्यूटरों के अन्य उपयोग , यातायात में यात्रियों के लिए आरक्षण – प्रणाली का संचालन और बैंकों में बैंकिंग ( Banking ) के कार्य हैं । सबसे पहला मिनी कम्प्यूटर PDP – 8 एक रेफ्रिजरेटर ( Refrigerator ) के आकार का , 18000 डॉलर कीमत का था जिसे डिजीटल इक्विपमेण्ट कॉरपोरेशन ने सन् 1965 में तैयार किया था ।

D. Mainframe Computer-

ये कम्प्यूटर आकार में बहुत बड़े होते हैं साथ ही इनकी स्टोरेज – क्षमता भी अधिक होती है । इनमें अधिक मात्रा के डाटा ( Data ) पर तीव्रता से प्रोसेस ( Process ) करने की । क्षमता होती है , इसलिए इनका उपयोग बड़ी कम्पनियों , बैंक तथा सरकारी विभाग एक centralized computer system के रूप में करते हैं । ये चौबीसों घंटे कार्य कर सकते हैं और इन पर सैकड़ों उपयोगकर्ता ( Users ) एक साथ काम कर सकते हैं ।

Mainframe Computer
Mainframe Computer

मेनफ्रेम कम्प्यूटर को एक नेटवर्क ( network ) या माइक्रो कम्प्यूटरों से परस्पर जोड़ा जा सकता है । अधिकतर कम्पनियाँ या संस्थाएँ मेनफ्रेम कम्प्यूटर का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए करती हैं:

  • उपभोक्ताओं द्वारा खरीद का ब्यौरा रखना
  • भुगतानों का ब्यौरा रखना
  • बिलों को भेजना , रखना
  • नोटिस ( Notice ) भेजना
  • कर्मचारियों के भुगतान करना
  • कर ( Tax ) का विस्तृत ब्यौरा रखना आदि ।

IBM 4381, ICL  39 श्रृंखला ( series ) और CDC Cyber श्रृंखला मेनफ्रेम कम्प्यूटरों के उदाहरण हैं ।

E.सुपर कम्प्यूटर ( Super Computer ) –

सुपर कम्प्यूटर , कम्प्यूटर की सभी श्रेणियों में सबसे बड़े , सबसे अधिक स्टोरेज – क्षमता वाले तथा सबसे अधिक गति ( speed ) वाले होते हैं । इनमें अनेक सी . पी . यू . ( CPU ) समान्तर क्रम में कार्य (processing ) करते हैं । इस क्रिया को समान्तर प्रक्रिया ( Parallel Processing ) कहते हैं ।

एक सी . पी . य . ( CPU ) द्वारा डाटा ( Data ) और प्रोग्राम ( Program ) एक स्ट्रीम ( Stream ) में एक्जिक्यूट करने की पारम्परिक विचारधारा ‘ वॉन न्यूमान सिद्धान्त ‘ ( Von Neumann Concept ) कहलाती है । लेकिन सुपर कम्प्यूटर ‘ नॉन – वॉन न्यूमान सिद्धान्त ‘ ( Non – Von Neumann Concept ) के आधार पर तैयार किया जाता है । सुपर कम्प्यूटर में अनेक ए . एल . य . ( ALU ) सी . पी . यू . के एक भाग होते हैं । प्रत्येक ए . एल . यू .  एक निश्चित क्रिया के लिए होता है और सभी ए , एल . यू .  एक साथ समान्तर प्रक्रिया ( parallel processing ) करते हैं ।

  • सुपर कम्प्यूटर का उपयोग निम्नलिखित कार्यों में होता है-
  • बडी वैज्ञानिक और शोध ( research ) प्रयोगशालाओं में शोध व खोज करना
  • अन्तरिक्ष – यात्रा के लिये अन्तरिक्ष यात्रियों को अन्तरिक्ष में भेजना
  • मौसम की भविष्यवाणी
  • उच्च गुणवत्ता के एनीमेशन ( animation ) वाले चलचित्र ( movie ) का निर्माण ।

Application of Computer in Hindi – कंप्यूटर का उपयोग 

  • कम्प्यूटर आधुनिक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है । देश के राष्ट्रपति से लेकर एक लिपिक या आम आदमी तक कम्प्यूटर के प्रभाव से अछूता नहीं है । यदि देश की सरकार जनगणना के कार्य को कम्प्यूटर के बिना नहीं कर सकती है तो भारतीय रेलवे अपनी आरक्षण – प्रणाली ( reservation system ) को इसके बिना इतने प्रभावशाली रूप से नहीं चला सकती । विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थान कम्प्यूटर की सहायता से हजारों अंकतालिकाएँ बहुत कम समय में ही तैयार कर लेते हैं ।
  • कई संगठन अपने कार्यालयों की प्रणाली का संचालन कम्प्यूटर के द्वारा ही कर रहे हैं । बैंकों में किये जाने वाले लेन – देन को कम्प्यूटर ही आज सुचारु रूप से कर रहा है । आज की प्रभावशाली टेलीफोन व्यवस्था सम्पूर्ण रूप से कम्प्यूटरीकृत हो गई है । हम घर में बैठकर टी . वी . ( TV ) के जो कार्यक्रम देखते हैं , वे सभी आज कम्प्यूटर द्वारा ही संपादित ( edited ) किये जाते हैं और उन्हें हम तक पहुँचाने में भी कम्प्यूटर अपनी भूमिका उपग्रह के साथ मिलकर निभाता है ।
  • भारतवर्ष एक विकासशील देश है और इसकी एक प्रमुख समस्या बेरोजगारी है । इसे दूर करने के लिए भी कम्प्यूटर ने रोजगार के नये द्वार खोले हैं । आज भारत दुनिया में सॉफ्टवेयर ( Software ) के निर्यातकों में से एक है , अतः इस क्षेत्र में रोजगार बढ़ा है ।

1. घर में और व्यक्तिगत कार्यों में कम्प्यूटर ( Computers in Household and Personal Use ) 

सन् 1970 में जब माइक्रो कम्प्यूटर का विकास हुआ तो कम्प्यूटर को घर के उपयोग में लाने की केवल कल्पना ही की जा सकती थी । आज यह कल्पना साकार होती जा रही है । माइक्रो कम्प्यूटर के विभिन्न छोटे आकार के और सुविधाजनक मॉडल हम अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए घरों में स्थापित कर सकते हैं । यह एक डेस्क ( Desk ) पर या एक ब्रीफकेस में रखा जा सकता है । इन्हें निम्नलिखित रूपों में घरों में या व्यक्तिगत कार्यों में प्रयोग किया जाता है-

 

रसोईघर में ( In Kitchen ) :-

इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेसर और मेमोरी का रसोई सम्बन्धी यन्त्रों , जैसे , माइक्रोवेव ऑवन ( Microwave Oven ) में प्रयोग होता है ।

कम्प्यूटरीकृत कार ( Computerized Cars ) :-

आधनिक कारों में कम्प्यूटर के द्वारा सभी नियन्त्रण जैसे – कार – मालिक की आवाज पहचानकर दरवाजा खुल जाना , पेट्रॉल की उचित मात्रा की चेतावनी , कार की सतह को इच्छानुसार परिवर्तित करना , सड़क व शहर का मानचित्र उपलब्ध कराना आदि संचालित होते हैं ।

कम्प्यूटरीकृत घर ( Computerized Homes ) :-

आजकल घरों को कम्प्यूटर – नियन्त्रित बनाया जा रहा है । कम्प्यूटर मेहमानों का स्वागत व उनकी पहचान करते हैं , लॉन ( Lawn ) में पानी देने का काम करते हैं , जबकि हम घर से अनुपस्थित हों । ये घर के तापमान को भी स्वत : नियन्त्रित करते हैं ।

व्यक्तिगत रोबोट नौकर ( Personal Robot Servants ) :-

रोबोट ( Robot ) को केवल फैक्ट्रियों ( Factories ) में खतरनाक कार्यों को करने वाला ही नहीं समझना चाहिए । इसे व्यक्तिगत कार्यों के लिए नौकर भी बनाया जा सकता है । रोबोट कम्प्यूटर द्वारा संचालित एक ‘ यान्त्रिक – मानव ‘ ( computerized machine man ) होता है ।

घर से बैंकिंग और खरीददारी:-

इलेक्ट्रोनिक फण्ड ट्रांसफर ( EFT – Electronic Fund Transfer ) सिस्टम बैंक की एक ऐसी सुविधा है । जिससे हम बैंकों , यातायात एजेन्सियों और दुकानों से रुपयों का लेन – देन घर में लगे कम्प्यूटर की सहायता से कर सकते हैं । घर में लगा कम्प्यूटर टेलीफोन लाइन से जुड़ा रहता है जिसका । सम्पर्क इण्टरनेट ( Internet ) से होता है ।

आधुनिक कुटीर उद्योग ( Modern Cottage Industries ) :-

आजकल कम्प्यूटर ने सूचना को विक्रय योग्य एवं उपयोगी वस्तु बना दिया है जिससे घर में चलाये जा सकने वाले व्यवसायों । का उदय हुआ है । डी . टी . पी . ( DTP – Desk Top Publishing ) एक ऐसा व्यवसाय है जिसम कम्प्यूटर से प्रकाशन के कार्य घर में ही किये जा सकते हैं । डिश एंटिना लगाकर उपग्रह स सपक स्थापित करने वाला केन्द्र हम कम्प्यूटर की मदद से घर में ही बना सकते हैं ।


2.  शिक्षा में कम्प्यूटर ( Computers in Education )

1940 और 1950 के दशक में कम्प्यूटर को तेजी से गणना करने के लिए स्थापित किया गया था । कम्प्यूटर का शिक्षा में उपयोग बढ़ाने के लिए सबसे पहला प्रयास जॉन कैमेनी ( John Kemeny ) ने 1960 के दशक में किया जब उन्होंने बेसिक ( BASIC ) कम्प्यूटर – भाषा ( language ) का विकास किया । यह भाषा जल्दी ही डार्ट माउथ महाविद्यालय के विद्यार्थियों के जीवन का अंग बन गई ।

आज कम्प्यूटर और शिक्षा एक – दूसरे के पूरक हैं । शिक्षा में कम्प्यूटर के उपयोग निम्नलिखित हैं –

कम्प्यूटर सीखना ( Learning about Computer ) :

कंप्यूटर आज जनसाधारण का यंत्र है । अत : यह अब एक उपकरण मात्र से एक सम्पूर्ण विद्या में परिवर्तित हो गया है । हर व्यक्ति कंप्यूटर जानने को आतुर है । फलस्वरूप विश्वविद्यालय नये – नये ट्रेड्स और पाठ्यक्रमों को लागू कर रहे हैं । कंप्यूटर विज्ञान , सूचना प्रौद्योगिकी , Computerized Information System सब कुछ कंप्यूटर के सिखने से ही संबंधित हैं । छोटे गाँव में भी लोगों को प्रशिक्षण  देने हेत संस्थानों की संख्या दिन ब दिन बढ़ रही है

 कम्प्युटर एक शिक्षक के रूप में ( Computer as a Teacher ) :-

कम्प्यूटर असिस्टेड इंस्टक्शन कम्प्यूटर का एक सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर को एक शिक्षक का रूप दे देता है । उदाहरण के लिए माध्यमिक स्तर का विद्यार्थी कम्प्यूटर में चल रहे सी . ए . आई . ( CAI ) में । बीजगणित का अध्ययन करे तो सी . ए . आई . ( CAI ) विद्यार्थी को कम्प्यूटर की स्क्रीन पर बीजगणित का एक सवाल हल करने के लिए देगा . विद्यार्थी उसे यदि सही हल करता है तो सी . ए . आई . । ( CA ) अगला सवाल हल करने को देगा और यदि सवाल का हल गलत है तो यह सॉफ्टवेयर स्क्रीन पर उस सवाल का सही हल दिखाएगा और साथ ही पनः हल करने के लिए वैसा ही नया सवाल विद्यार्थी को दिया जायेगा । बाद में प्रश्नावली के पूर्ण होने पर कम्प्यूटर विद्यार्थी को प्रगतिपत्र ( mark sheet ) उसके प्राप्तांक भी दे सकता है ।

 समस्या समाधान ( Problem Solving ) :-

अध्ययन में कठिन समस्याओं को कम्प्यूटर सरल कर देता है । कम्प्यूटर एक समस्या के हल के लिए अनेक व्यक्तियों के तकों का उपयोग तेजी से कर लेता है जिससे समस्या शीघ्र हल हो जाती है ।

प्रशिक्षण तथा परीक्षा में कंप्यूटर ( Computers in Training and Examinations ) :-

आज प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा कई ऑनलाइन पाठ्यक्रम चालाए जा रहे हैं । आप माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन , सन कॉरपोरेशन द्वारा उनके उत्पादों पर प्रशिक्षित किये जा सकते हैं । आप ऑनलाइन उनके द्वारा लिये जाने वाली परीक्षाओं में बैठ सकते हैं और उसमें सफल होने पर उनसे डिग्री भी प्राप्त कर सकते हैं । मैग्नेटिक इंक रिकॉगनिशन ( MIR ) एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो बैंकिंग तथा अन्य वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं को अद्भुत गति और शुद्धता के साथ जाँचने में सहायक होती है ।


 3. मनोरंजन में कम्प्यूटर ( Computers in Entertainment )

  • कंप्यूटर आज सबसे अधिक मनोरंजन करने वाले यंत्रों में एक है । यदि शिक्षित वर्ग में वोटिंग करवायी जाए , तो मैं समझता हूँ कि लोगों का बहुमत वोट कंप्यूटर को मनोरंजन के मुख्य साधन के रूप में जाएगा । प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कंप्यूटर आज का एक बड़ा मनोरंजनकर्ता है । मैं तब बिल्कुल चकित रह गया जब मैंने कुछ महीने पहले youtube.com को लॉग किया ।वहाँ मुझे वो तमाम गाने और विडियों सुनने को मिले जो मैंने चाहा था और मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि इतना बड़ा म्यूजिकल स्टोर संसार के किसी भी कोने में नहीं होगा । इस सेक्शन में मनोरंजन के अन्य मुख्य क्षेत्रों का वर्णन किया जा रहा है जहाँ कंप्यूटर बिल्कुल जरूरी बन गया है । [ Computer In Hindi ]
 खेल ( Games ) :-

कम्प्यूटर में हम मनोरंजक और बौद्धिक क्षमता बढ़ाने वाले खेलों का आनंद ले सकते हैं ।

चलचित्र ( Movies ) :-

फिल्म – उद्योग में कम्प्यूटर से चलचित्रों में अनेक फोटोग्राफिक प्रभाव , संगीत प्रभाव , एक्शन प्रभाव आदि को उत्पन्न किया जाता है । कम्प्यूटर में मल्टीमीडिया ( Multimedia ) तकनीक की सुविधा से काल्पनिक दृश्य भी जीवंत – से लगते हैं । आपको याद होगा , पिछले दशक में एक फिल्म ‘ जुरासिक पार्क ( Jurassik Park ) ‘ आयी थी , जिसमें एक विलुप्त प्रजाति के जीव डायनासोर का फिल्मांकन कम्प्यूटर और मल्टीमीडिया के कुछ सॉफ्टवेयर , जैसे – 3D स्टूडियो मैक्स ( 3D Studio Max ) आदि की मदद से किया गया था

संगीत ( Music ) :-

संगीतकार ( Musicians ) एक कम्प्यूटर , जिसे इलेक्ट्रॉनिक सिंथेसाइजर ( Electronic Synthesizer ) कहते हैं , को काम में लेते हैं । यह आवाज रिकॉर्ड करता है तथा पुरानी धुनों को मेमोरी ( Memory ) में से देता है । कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न वाद्ययंत्रों की धुनें कृत्रिम रूप से तैयार की जा सकती हैं ।

कला ( Art ) :-

कम्प्यूटर के द्वारा हम आकृतियों को विभिन्न रूप , आकार तथा . रंग आदि दे सकते हैं । चित्रकला जैसे कार्य करने वाले अनेक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम कम्प्यूटर में उपलब्ध होते हैं । फोटोशॉप ( Photoshop ) इसी प्रकार का एक सॉफ्टवेयर है ।


4. वैज्ञानिक शोध में कम्प्यूटर ( Computers in Scientific Research )

  • कम्प्यूटर का मौसम की भविष्यवाणी ( Weather forecasting ) में प्रमुख उपयोग है । मौसम का अनमान लगाने के लिए वर्तमान मौसम की स्थिति के डाटा ( Data ) कम्प्यटर में इनपट ( Input ) किये जाते हैं , जिनकी भूतकाल के मौसम की स्थितियों से कम्प्यूटर तुलना करता है । मौसम की भविष्यवाणी की प्रक्रिया चौबीसों घंटे चलती है । इसमें डाट ( Data ) की संख्या अधिक होती है , इसलिए इस कार्य के लिए सुपर कम्प्यूटर का राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग किया जाता है ।
  • अन्तरिक्ष यात्रियों को अन्तरिक्ष – यानों में सवार कराके हम कम्प्यूटर की सहायता से उन्हें अन्तरिक्ष यात्रा करवाते हैं । इस कार्य में जटिल खगोलीय गणनाएँ होती हैं और खगोलीय पिण्डों की दूरियों का आकलन आदि कम्प्यूटर ही शुद्धता ( Accuracy ) से कर सकता है ।
  • Simulation एक ऐसी तकनीक है जिसमें कम्प्यूटर किसी वास्तविक वस्तु का वर्चुअल मॉडल ( virtual models ) बना देता है और उसका परीक्षण किया जाता है । इस प्रकार भवनों , कारों , वायुयानों , प्रक्षेपास्त्रों , अन्तरिक्षयानों के मॉडल Simulation तकनीक से बनाकर उनका परीक्षण किया जाता है । Simulation की यह क्रिया कम्प्यूटर एडेड डिजाइनिंग भी कहलाती है ।

5. चिकित्सीय जाँच में कम्प्यूटर ( Computers in Medical Treatment )

कम्प्यूटर हमें स्वस्थ और दीर्घायु बनाने के लिए अथक प्रयासरत है । कम्प्यूटर के चिकित्सा के क्षेत्र में क्या योगदान हैं इस सेक्शन में चर्चा की गई हैं । [ Computer In Hindi ]

  • कम्प्यूटर असिस्टेड डाइग्नोसिस ( Computer Assisted Diagnosis ) – यह एक ऐसी सुविधा है जिसमें हार्डवेयर अथवा सॉफ्टवेयर , चिकित्सकों को रोगियों के परीक्षण में सहायता करते हैं । रोगी के लक्षणों को कम्प्यूटर में इनपुट ( Input ) किया जाता है तथा सॉफ्टवेयर इस रोगी के लक्षणों की तुलना अब तक के पिछले रोगियों के कम्प्यूटर में स्टोर लक्षणों व रोगों से करते हैं और रोग का पता  लगाते हैं ।
  • कम्प्यूटेड टोमोग्राफी ( Computed Tomography ) – यह एक ऐसी सुविधा है जिसमें कैट स्कैनिंग ( CAT Scanning ) की जाती है । इसमें X – Ray , हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर मिलकर रोगी के आन्तरिक अंगों का त्रिविमीय ( Three Dimensional ) चित्र प्रस्तुत करते हैं । चिकित्सक इस चित्र से रोगी के रोग को अधिक शुद्धता से जाँच सकते हैं ।

कम्प्यूटराइज्ड लाइफ सपोर्ट सिस्टम ( Computerized Life – Support System ):- यह नर्सिंग ( Nursing aid ) सहायता है , जिससे गम्भीर अवस्था के रोगी का लगातार प्रेक्षण ( monitor ) किया जाता है और रोगी की हृदयगति , तापमान और रक्तचाप में प्राणघातक बदलाव को अलार्म ( Alarm ) से सूचित किया जाता है । यह सिस्टम कम्प्यूटर द्वारा ही संचालित होता है ।

आजकल कम्प्यूटरों का उपयोग विकलांगों के लिये भी बढ़ रहा है । ऐसे पोर्टेबल कम्प्यूटर ( Portable Computers ) तैयार किये गये हैं जो मानव की आवाज से निर्देश प्राप्त करते हैं । यहाँ तक कि नेत्रहीनों के लिए भी कम्प्यूटर तैयार कर लिये गये हैं ।


6.  कम्प्यूटर सूचना प्रौद्योगिकी में ( Computers in Information Technology )

कम्प्यूटर के क्षेत्र के विस्तार होने से एक नई प्रौद्योगिकी ( technology ) का जन्म हुआ है जिसे ‘ सूचना प्रौद्योगिकी ‘ ( Information Technology ) कहते हैं । कंप्यूटर सूचना प्रौद्योगिकी में किस तरह उपयोगी है इस सेक्शन में संक्षेप में बताया जा रहा है ।

 इण्टरनेट ( Internet ) :- इण्टरनेट ( Internet ) कम्प्यूटर का अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क ( Network ) है । दुनिया भर के कम्प्यूटर नेटवर्क इण्टरनेट से जुड़ होते हैं और हम कहीं से भी , घर बैठे अपने कम्प्यूटर से वांछित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । राजनीति , खेल , सिनेमा , संगीत , स्वास्थ्य , चिकित्सा , विज्ञान , कला , संस्कृति आदि लगभग सभी विषयों पर विविध सामग्री इण्टरनेट पर उपलब्ध है ।

अपना मनपसंद विषय चुनने के लिए सर्च इंजिन ( Search Engine ) सॉफ्टवेयर इण्टरनेट पर होते हैं । याहू ( Yahoo ) , खोज आदि कुछ सर्च इंजिनों के उदाहरण हैं । यह सर्च इंजिन वेबसाइट ( Website ) का पता लगाते हैं । लगभग सभी वेबसाइट की शुरूआत अंग्रेजी के तीन अक्षरों ‘ www ‘ से होती है , जिसका आशय – ‘ वर्ल्ड वाइड वेब ‘ ( World Wide Web – www ) होता है ।

ई – बिजनेस ( e – Business ) :- कम्प्यूटर में ऑपरेशन्स इलेक्ट्रॉनिक विधि ( electronically ) से होते है , अत : आधुनिक बिजनेस जो कम्प्यूटर और इण्टरनेट के सहयोग से किया जाता है ‘ ई – बिजनेस ‘ ( e – Business ) या ‘ इलेक्ट्रॉनिक – बिजनेस ( Electronic Business ) कहलाता है । यह बिजनेस एक विषय ‘ ई – कॉमर्स ‘ ( e Commerce ) के अन्तर्गत आता है ।


Conclusion Of Computer In Hindi

दोस्तों इस पोस्ट को पूरा पढने के बाद आप तो ये समझ गये होंगे की Computer In Hindi  और आपको जरुर पसंद आई होगी , मैं हमेशा यही कोशिस करता हु की आपको सरल भासा में समझा सकू , शायद आप इसे समझ गये होंगे इस पोस्ट में मैंने सभी Topics को Cover किया हूँ ताकि आपको किसी और पोस्ट को पढने की जरूरत ना हो , यदि इस पोस्ट से आपकी हेल्प हुई होगी तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं।

2 Comments

  1. सर आपने बहुत ही अच्छा इनफार्मेशन दिया हे थैंक्स

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