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Problems Of Small Scale Industries In Hindi
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Small Scale Industries In Hindi – हेल्लो Engineers कैसे हो , उम्मीद है आप ठीक होगे और पढाई तो चंगा होगा आज जो शेयर करने वाले वो Entrepreneurship  के  Problems Of Small Scale Industries In Hindi के बारे में हैं तो यदि आप जानना चाहते हैं की ये क्या हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ सकते हैं , और अगर समझ आ जाये तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं |

Problems Of Small Scale Industries In Hindi

Problems Of Small Scale Industries In Hindi
Problems Of Small Scale Industries In Hindi

Problems Of Small Scale Industries In Hindi

भारत में लघु उद्योगों (small scale industries) के विकास की प्रबल संभावनाएँ है । किन्तु लघु उद्योग अनेक समस्याओं से ग्रसित हैं अतः उनका संतोषजनक विकास नहीं हो पाया है । इन समस्याओं के चलते अनेकों लघु उघोग (small industry) बीमार इकाइयों का रुप ले चुके है । अनेकों बंद भी पड़े है । अत : यह आवश्यक है कि इन उद्योगों की समस्याओं का अध्ययन किया जाये एवं निदानात्मक उपाय खोजे जायें ।

Some Of The Following Types Of Problems Below :-

( i ) वित्त तथा साख की समस्या – Finance and credit problems

  • लघु उद्योगों के विकास में वित्त तथा साख की कमी का समस्या एक प्रमुख रोड़ा है । हमारे कारीगरों तथा हस्तशिल्पियों के पास पूँजी (Capital) का  सर्वथा अभाव रहता है । वे महाजनों से बड़ी ऊँची शोषणीय व्याज (Exploitative interest or High interest) की दर पर ऋण (borrow) लेते हैं ।
  • साख के अभाव एवं निर्धनता की पृष्ठभूमि के कारण उन्हें व्यापारिक बैंकों से ऋण नहीं मिल पाता । निरक्षरता एवं जानकारी के अभाव में लघु उद्यमी वित्त के अन्य स्रोतों के बारे में भी नहीं जान पाते । इस प्रकार उत्तम वित्तीय छवि के अभाव में वे उचित व्याज की दरों पर ऋण प्राप्त नहीं कर पाते ।

( ii ) अल्पविकसित मौलिक सुविधाएँ – Rudimentary fundamental features

  • केशव दास एवं मॉरिस द्वारा 1063 लघु इकाईयों के किये गये सर्वेक्षण में यह पाया गया कि 716 इकाइयाँ अल्पविकसित मूलभूत ढाँचे की विकट समस्या से पीड़ित है ।
  • अधिकाँश लधु इकाईयाँ बिजली , पानी , सड़कें , परिवहन , संचार बैंक तथा इसी प्रकार की अनेकों मौलिक सुविधाओं से वंचित हैं ।
  • इन सुविधाओं के अभाव में इकाई की क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता तथा अपव्यय में वृद्धि होती है ।

( iii ) कच्चे माल की समस्या – Raw material problem

  • लघु इकाईयों को वाँछित मात्रा में कच्चे माल की आपूर्ति नहीं हो पाती है । कमजोर आर्थिक दशा के कारण वे कच्चेमाल की प्राप्ति हेतु मध्यस्थ की सेवाएं नहीं ले पाती है । कुछ क्षेत्रों में तो कच्चे माल का सर्वथा अभाव है अथवा घटिया किरम का माल ऊँची कीमत पर मिल पाता है ।
  • उदाहरणार्थ , हस्तकरघा उद्योग कपास की आपूर्ति हेतु स्थानीय व्यापारियों पर निर्भर रहता है । ये व्यापारी इस शर्त के साथ कपास की आपूर्ति करते हैं कि तैयार हो जाने के पश्चात माल सिर्फ उन्हीं को बेचा जाये इस प्रकार जुलाहों का दोहरा शोषण होता है तथा वे अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं कर पाते हैं । इससे उत्पादन लागत में तो वृद्धि होती ही है साथ ही बाजार में उनकी प्रतियोगिता क्षमता पर भी कुप्रभाव पड़ता है ।

( iv ) पुरानी तकनीक – Old Technic

  • अधिकाँश लघु उद्योग उत्पादन की पारम्परिक तकनीक पर निर्भर रहते हैं । वे पुरानी मशीनों तथा उपकरणों का प्रयोग करते हैं । कई उद्योग सेकण्ड हैण्ड मशीनों तथा उपकरणों का प्रयोग करते हैं ।
  • पूँजी अभाव के कारण ऐसे अपने उद्योग तथा कार्यशाला का आधुनिकीकरण नहीं कर पाते । परिणामस्वरूप उनका उत्पाद निम्न गुणवत्ता का , उत्पादकता कम तथा उत्पादन मूल्य ऊँचा रहता है ।

( v ) क्षमता के निम्न उपयोग की समस्या – Low capacity utilization problem

  • कई अध्ययनों एवं सर्वेक्षणों से यह ज्ञात हुआ है कि लघु उद्योग अपनी मानक क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाते है ।
  • समरत सर्वेक्षण यह दर्शाते हैं कि लघु उद्योग अपनी स्थापित क्षमता का औसत 40 में 50 प्रतिशत तक उपयोग नहीं कर पाते हैं ।

( vi ) बिजली तथा पानी की समस्या – Problems of electricity and water

  • उत्पादन क्षमता का पूर्ण उपयोग न कर पाने से संबंधित बिजली तथा पानी की आवश्यक आपूर्ति न हो पाने की समस्या है । ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति अनियमित होती है ।
  • इसके अतिरिक्त लघु उद्यमी बिजली के अन्य विकल्पों की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं ।
  • गाँवो में जल की आपूर्ति भी सदैव उपलब्ध नहीं रहती है । इसका उनकी उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है ।

( vii ) अकुशल श्रमिक – Unskilled workers

  • लघु इकाइयों में श्रम की विशेष भूमिका होती है । लेकिन लघु क्षेत्र में श्रमिकों की प्रशिक्षण सविधा का अभाव होता है । अधिकाश अमिक अकुशल , असक्षम अप्रशिक्षित तथा अशिक्षित होते है ।
  • अत : वे आधुनिक उत्पादन व्यवस्था की चुनौतियों का सामना नहीं कर पाते ,व्यावसायिक तथा प्रशिक्षित तकनीशियन भी लघु क्षेत्र में काम करने से कतराते है ।
  • श्रमिकों की इस समस्या के कारण लघु उद्योग अपनी उत्पादकता में सुधार नहीं ला पात है ।

( viii ) अनुपयुक्त स्थल – Inappropriate site

  • लघु उद्योगों के समक्ष संयंत्र तथा कार्यशाला हेतु उपयुक्त स्थल का चयन न कर पाने की समस्या भी होती है । स्थल का चयन अनेक कारकों पर निर्भर होता है जैसे – मौलिक सुविधाओं की उपलब्धता , स्थल की कीमत , कुशल श्रम की उपलब्धता , बाजार तथा कच्चा माल आदि की उपलब्धता ।
  • लेकिन लघु उद्यमियों को अनेकों बातों पर विचार करना होता है जैसे सस्ती भूमि , उनका पारंपरिक कार्य स्थल , पारिवारिक व्यवसाय तथा उनका पारिवारिक सम्पत्ति तथा कार्यस्थल के प्रति भावनात्मक लगाव आदि । इस प्रकार लघु उद्यमी उपयुक्त कार्यस्थल का चुनाव उचित ढंग से नहीं कर पाते हैं ।

( ix ) विपणन की समस्या – Marketing problem

  • लघु उद्योगों के समक्ष एक अन्य समस्या होती है विपणन की । इन इकाइयों का कोई ‘ विपणन संगठन ‘ नहीं होता । उनके पास परिवन , भण्डारणं आदि की व्यवस्था का अभाव होता है । उनका कोई विक्रय संघ नहीं होता । वे विज्ञापन तथा प्रचार – प्रसार जैसी विधियों का भी उपयोग नहीं करते हैं । वे प्रचार – प्रसार जैसी विधियों का भी उपयोग नहीं करते हैं ।
  • अतः इन इकाइयों को बड़े उद्योगों से प्रतियोगिता के क्षेत्र में सफलता नहीं मिल पाती । इन इकाइयों में सौदेबाजी की निपुणता तथा बाजार में ठहरे रहने की क्षमता का भी अभाव होता है । अतः इन्हें अपना उत्पाद बहुत कम मूल्य पर बेचने हेतु बाध्य होना पड़ता है । लघु उद्योगों को बड़े उद्योगों से प्रतियोगिता की इस समस्या से बचाने हेतु सरकार ने कुछ उत्पादों को लघु क्षेत्र में उत्पादन होने हेतु आरक्षित कर दिया है ।

( x ) त्रुटिपूर्ण परियोजना नियोजन – Inaccurate Project Planning –

  • निम्न स्तर की शिक्षा एवं अनुभव के अभाव में छोटे उद्यमी प्रायः परियोजना नियोजन हेतु परामर्शदात्री संस्थाओं पर निर्भर होते हैं ।
  • परियोजना निरूपण हेतु ये किराये के विशेषज्ञों की सेवाएँ लेते हैं । वे परियोजना को विस्तारपूर्वक नहीं समझ पाते हैं । इस प्रकार त्रुटिपूर्ण नियोजन के कारण उत्पादन लागत व अन्य व्यय बढ़ जाते हैं |

( xi ) अनुषंगी उद्योगों की समस्याएँ – Problems of ancillary industries

  • अनुषंगी उद्योगों की अपनी अलग ही प्रकार की समस्याएँ होती हैं ।
  • इनमें से एक समस्या है लम्बित भुगतान की बड़े उद्योगों तथा सरकारी विभागों द्वारा देर से किये गये भुगतानों के कारण अनुषंगी उद्योग कोषों के अभाव की समस्या से ग्रसित रहते हैं ।
  • अन्य समस्याएँ हैं – पैतृक इकाई द्वारा तकनीकी सहयोग का अभाव ,गुणवत्ता एवं आपूर्ति अनुसूची के अनुरूप न चलना , सौदेबाजी की क्षमता का अभाव आदि । प्रायः ऐसा देखा गया है कि क्रयकर्ता अनुषंगी उद्योगों को एक – एक साल तक भुगतान नहीं करते है । इस प्रकार इनके समक्ष कार्यशील पूंजी की कमी की समस्या उत्पन्न हो जाती है ।

( xii ) नकली उपक्रम – Fake enterprise

  • सरकार लघु उद्योगों को अनेकों सुविधाएँ तथा अनुदान देती है । इन सुविधाओ तथा लाभों को प्राप्त करने हेतु कई तथाकथित उद्यमी मात्र कागजों पर ही नकली उपक्रम दर्शाते है ।
  • इस प्रकार वास्तविक उपक्रमों को इन लाभों तथा सुविधाओं को प्राप्त करने में कठिनाई होती है । सस्ते वित की उपलब्धता भी नकली उपक्रमों को लघु क्षेत्र में प्रवेश करने हेतु प्रेरित करती है ।
  • यह प्रवृति अप्रत्यक्ष रूप से मध्यम तथा वृहत उद्योगों को घटी दरी , पर कच्चा माल प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित करती है ।

( xiii ) बड़ी इकाइयों से प्रतियोगिता – Competition from large units

  • लघु उद्योगों को अपनी मध्यम तथा बड़ी इकाई की प्रतियोगियों से कडी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है ।
  • लघु उद्योगों के लिये आरक्षित अनेकों उत्पाद आज उन्मुक्त रूप से आयात किये जा रहे हैं ।
  • बड़े उद्योग उत्तम गुणवता के उत्पाद कम कीमत पर उत्पादित करते हैं ।
  • उनके पास विपणन तथा विज्ञापन की भी उत्तम सुविधाएँ उपलब्ध हैं । वे बड़ी संख्या में मध्यस्थों को नियोजित करते है । इन सभी के कारण बड़े उद्योगों को प्रतियोगिता में लाभ मिलता है । यथार्थ में लघु उद्योग बड़े उद्योगों से प्रतियोगिता करने में असमर्थ हैं क्योंकि उनके उत्पादन का पैमाना छोटा होता है तथा उत्पाद  मँहगे होते हैं ।

( xiv ) बीमारी की समस्या – Disease problem

  • बीमार लघु उद्योग (ऐसे उद्योग जो चल नई रहे , ठप पड़े हौं ) राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर एक बोझ होते है । बीमार इकाइयों में पूँजी जाम हो जाती है । लघु क्षेत्र में बीमार इकाइयों की संख्या बहुत अधिक है ।
  • ये अचलाय मान है मार्च 31 , 2004 को बीमार लघु इकाइयों की संख्या 1 , 38 , 811 थी । इन इकाईयों पर कुल 5 , 284 . 54 करोड़ रुपये की ऋण राशि बकाया थी ।
  • ये ऋण उन्होंने बैंकों से प्राप्त किये थे । बीमार इकाईयों का पुनर्वास एक महँगा कार्य है । भारतीय रिजर्व बैंक ने बीमार उद्योगों के पुनर्वास के लिये कुछ नये प्रावधान किये हैं जिन्हें बैंकों में प्रसारित कर दिया गया है । इसके परिणामस्वरूप हाल ही के कुछ वर्षों भी में बीमार इकाईयों की संख्या में कुछ कमी आई है ।

( xv ) अनुपयुक्त ऑकड़ों का आधार – Base of inappropriate data

  • लघु उद्योगों के आँकड़ों का आधार अनुपयुक्त है । संयुक्त रूप से लघु उद्योगों से सम्बन्धित पूर्ण सूचना किसी भी स्रोत से उपलब्ध नहीं है । अनुमान ऑशिक ऑकड़ों के आधार पर लगाये जाते हैं ।
  • सर्वेक्षण लम्बे समयन्तराल पर किये जाते हैं । लघु क्षेत्र में आकड़ों के संग्रह करने की कोई नियमित तथा व्यवस्थित प्रक्रिया नहीं है ।
  • लघु उद्योगों के तीव्र विकास हेतु निर्णयन के लिये नवीनतम सूचनाएँ संग्रह करना कठिन कार्य है ।

( xvi ) अन्य समस्याएँ – Other problems

उपरोक्त अवरोधों के अतिरिक्त लघु उद्योगों की कुछ अन्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं :-

  • अपर्याप्त प्रबंध -Insufficient management
  • प्रशिक्षित तकनीशियनों का अभाव -lack of trained technicians
  • अप्रचलित तकनीकी – obsolete technology
  • कार्य पद्यति की असंगठित प्रकृति – the unorganized nature of the working method
  • विभिन्न सहायक संस्थाओं के बीच समन्वय का अभाव -lack of coordination between various subsidiaries
  • गुणवत्ता के प्रति उदासीनता -indifference to quality,
  • अनुपयुक्त लागत ढाँचा -inappropriate cost structure,
  • संगठिन विपणन चैनलों का अभाव – lack of organized marketing channels
  • बाजार की दशाओं का अपूर्ण ज्ञान -incomplete knowledge of market conditions
  • उप – अनुबंध एवं विस्तृत अनुषंगीकरण का अभाव – lack of sub-contract and detailed subsidization

उपरोक्त सभी समस्याओं के कारण बड़े उद्योगों से मुकाबले में लघु उद्योगों को . हो रही है . दोनों – घरेलू तथा विदेशी बाजार में ।


Final Word

दोस्तों इस पोस्ट को पूरा पढने के बाद आप तो ये समझ गये होंगे की  Problems Of Small Scale Industries In Hindi  क्या हैं और आपको जरुर पसंद आई होगी , मैं हमेशा यही कोशिश करता हूँ की आपको सरल भाषा में समझा सकू , शायद आप इसे समझ गये होंगे इस पोस्ट में मैंने सभी Topics को Cover किया हूँ ताकि आपको किसी और पोस्ट को पढने की जरूरत ना हो , यदि इस पोस्ट से आपकी हेल्प हुई होगी तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं |

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