Project Selection In Hindi-जाने क्या हैं Project Selection हिन्दी में

Project Selection In Hindi
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Project Selection In Hindi – हेल्लो Engineers कैसे हो , उम्मीद है आप ठीक होगे और पढाई तो चंगा होगा आज जो शेयर करने वाले वो Entrepreneurship  के  Project Selection In Hindi  के बारे में हैं तो यदि आप जानना चाहते हैं की ये  क्या हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ सकते हैं , और अगर समझ आ जाये तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं |

Project Selection In Hindi

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Project Selection In Hindi

Project Selection In Hindi

  • Industry or business (उद्योग या व्यवसाय) की स्थापना करने से पहले उसका चयन (Selection ) करना जरूरी होता है क्योंकि , जब तक किसी Project or business (परियोजना या व्यवसाय) का चयन नहीं किया जायेगा तब तक उस Project or industry (परियोजना या उद्योग) , व्यवसाय को स्थापित करने के लिये आगे की अन्य प्रक्रियायें (Process ) कैसे प्रारम्भ की जा सकती हैं ?
  • अपनी Ability, interest and experience (क्षमता , रुचि व अनुभव) के आधार पर प्राथमिक रूप से चुनी गयी चार – छ : परियोजनाओं का अध्ययन करके उनमें से किसी एक परियोजना (Project) का अंतिम रूप से चुनाव करना और उसमें धन लगाने का निर्णय करना परियोजना चयन (Project Selection)  या विनियोग निर्णय ( investment decision ) कहलाता है ।
  • किसी परियोजना का अंतिम चुनाव करने के लिये Primary form (प्राथमिक रूप )  से चुनी गयी चार – छः परियोजनाओं का सम्भाव्यता या व्यवहार्यता अध्ययन ( feasibility study ) करके उनमें तुलना की जाती है । उनमें से सबसे लाभदायक परियोजना का अंतिम चुनाव कर लेते है । परियोजना चयन के पश्चात् परियोजना प्रतिवेदन (Project Report) तैयार करते हैं । इसमें सभी (दाताऔर Information ) सूचनाओं व जानकारियों को एक रिपोर्ट के रूप में तैयार किया जाता है ।
Project Selection In Hindi
Project Selection Methods

उद्यमी को Funding (धन विनियोग) करते समय निम्नलिखित बातों का निर्धारण भी करना पड़ता है :-

( i ) उद्योग का आकार ( Size of Industry ) –

उद्योग अथवा व्यवसाय के आकार का चयन एक महत्वपूर्ण कार्य होता है । उसके अनुरूप ही उद्यमी को वित्त व्यवस्था करनी पड़ती है । उद्यमी अपनी योग्यता व तकनीकी क्षमता या बाजार के अनुसार उद्योग के आकार का चनाव करता है । उद्यम – कुटीर , लघु , मध्यम या बड़े आकार का हो सकता है । उपक्रम का आकार छोटा होने के कई कारण हो सकते हैं –

  • उद्यमी को सीमित तकनीकी योग्यता ,
  • उद्यमी की सीमित वित्त व्यवस्था ,
  • वस्तु की स्थानीय बाजार में माँग ।

प्रायः उद्यमी प्रारम्भ में छोटे पैमाने पर ही कोई उद्यम प्रारम्भ करते हैं और शनैः शनैः उसका विस्तार करते हैं ।

( ii ) स्वामित्व का स्वरूप ( Form of Ownership ) –

अधिकांश उद्यमी अपने उद्योग को एकल स्वामित्व वाला ही रखना पसंद करते हैं । फिर भी यदि उद्योग का आकार बडा रखना जरूरी ही हो तो उद्यमी इसे साझेदारी स्वामित्व वाला रखता है ।

( iii )पँजीगत ढॉवा ( Composition of Capital ) –

परियोजना में लगाई जाने वाली पँजी का ढाँचा या सरचना तय करना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है । कुल लगने वाला धन किस प्रकार प्राप्त होगा , निजी क्षेत्र से या सरकारी क्षेत्र से ?

( iv ) कार्यशील पूँजी ( Working Capital ) –

एक उद्यम को चलाने के लिये की Goods, labor wages, stationery, electricity, water, packaging, traffic, communication ( माल , मजदूरों की मजदूरी , स्टेशनरी , बिजली , पानी , पैकेजिग , यातायात , संचार ) , विज्ञापन मशीनों की टूट – फूट आदि हेतु कितनी नकद कार्यशील पूंजी की आवश्यकता पडेगी तथा उसकी व्यवस्था किस प्रकार की जायेगी । इसका निर्णय लेना भी उद्यमी के लिये आवश्यक होता है ।


Final Word

दोस्तों इस पोस्ट को पूरा पढने के बाद आप तो ये समझ गये होंगे की Project Selection In Hindi  और आपको जरुर पसंद आई होगी , मैं हमेशा यही कोशिश करता हूँ की आपको सरल भाषा में समझा सकू , शायद आप इसे समझ गये होंगे इस पोस्ट में मैंने सभी Topics को Cover किया हूँ ताकि आपको किसी और पोस्ट को पढने की जरूरत ना हो , यदि इस पोस्ट से आपकी हेल्प हुई होगी तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं |

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